भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी पर देशभर में आज बड़ी ही धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जा रहा है। आज लोग दिनभर व्रत रखकर रात्रि के समय में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे।
जन्माष्टमी के अवसर पर 5 शुभ योग बन रहे हैं। बुधादित्य योग पूरे दिन बना हुआ, जबकि वृद्धि योग प्रात:काल से लेकर सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है। उसके बाद से ध्रुव योग होगा। जन्माष्टमी पारण वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग 04:38 ए एम से 05:51 ए एम तक है। भरणी नक्षत्र 06:06 ए एम तक है, उसके बाद कृत्तिका नक्षत्र है। गृहस्थजनों के लिए जन्माष्टमी आज है और वैष्णव जन रविवार को जन्माष्टमी मनाएंगे।
मंदिरों में उमड़ रही भक्तों की भीड़
देश भर के मंदिरों को भव्य तरीकों से सजाया गया है। मंदिरों में भजन-कीर्तन, झांकियां और विशेष आयोजनों के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों में सुबह से ही भक्त दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं।
कृष्ण जन्म भूमि मंदिर में धूमधाम से हुई मंगला आरती
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण जन्म भूमि मंदिर में मंगला आरती में भक्त शामिल हुए।
जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का शुभारंभ: 15 अगस्त, रात 11:49 बजे से
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति: 16 अगस्त, रात 9:34 बजे पर
जन्मोत्सव मुहूर्त देर रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
जन्माष्टमी पर कैसे करें कान्हा की पूजा
जन्माष्टमी के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद ईशान कोण में चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को पीला कपड़ा बिछाकर रखें। इसके स्वयं भी अपने लिए आसन बिछाएं और उस पर बैठकर सबसे पहले पवित्र जल से खुद पर और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण पर छिड़कें। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को देखकर उनका ध्यान करते हुए पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
इसके पश्चात् भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या फिर लड्डू गोपाल को एक बड़े पात्र या फिर परात में रखकर पहले से तैयार किये गये दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनाए गये पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं और साफ कपड़े से मूर्ति को पोंछकर कान्हा का वस्त्र, आभूषण आदि पहनाकर पूरा श्रृंगार करें।
फिर उन्हें यदि उपलब्ध है तो गोपी चंदन या फिर रोली, हल्दी, या केसर का तिलक लगाएं। फिर भगवान को पुष्प-माला, दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद भगवान को नैवेद्य, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करने के बाद उस पर से जल फेर दें। भगवान का विधि-विधान से पूजा करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की चालीसा (Krishna Chalisa), मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ करें। पूजा के अंत में श्री कृष्ण की आरती करते हुए पूजा में कमीपेशी के लिए माफी और मनचाहा वरदान मांगें।
भगवान श्री कृष्ण के मंत्र
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्, देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
जन्माष्टमी व्रत पारण का समय
जन्माष्टमी व्रत का पारण देर रात 12 बजकर 47 पर होगा। यह पारण समय उन लोगों के लिए है, जो श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के प्रसाद के साथ पारण करते हैं। जो लोग अगले दिन सूर्योदय पर करते हैं, उनके लिए पारण का समय 17 अगस्त को 05:51 ए एम पर है।