सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस समर्थित गुजरात के जामनगर में स्थित ‘ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका वकील कन्हैया कुमार ने दाखिल की थी। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) एक चिड़ियाघर और पंजीकृत संरक्षण केंद्र है। उसे विदेश से जानवरों को लाकर यहां रखने की इजाजत देने में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने किसी प्रकार की कोई कानूनी गलती नहीं की है। इस चिड़ियाघर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड विकसित किया गया है।
जीजेडआरआरसी की ओर से दायर किये गए जवाब को देखते हुए, कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि जीजेडआरआरसी को संचालन और जानवरों के हस्तांतरण और इसके गतिविधियों के लिए दी गई इजाजत कानूनी और अधिकृत है। कोर्ट ने जीजेडआरआरसी के अपने बुनियादी ढांचे, कामकाज, पशु चिकित्सक, क्यूरेटर, जीवविज्ञानी, प्राणी विज्ञानी और इससे जुड़े अन्य विशेषज्ञों के बारे में प्रस्तुतियां भी नोट कीं, और यह भी गौर किया कि संगठन कानून के संदर्भ में अपनी गतिविधियों को सख्ती से अंजाम दे रहा था।
शीर्ष अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, “ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दाखिल करने से पहले पर्याप्त रिसर्च की है।” साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह खुद भी इस फील्ड के विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्होंने केवल न्यूज रिपोर्ट के आधार पर याचिका दाखिल कर दी। न्यूज रिपोर्ट भी किसी विशेषज्ञ ने तैयार नहीं की है। सभी तथ्यों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि इसमें किसी प्रकार का गैर कानूनी काम हुआ है। इस याचिका को खारिज किया जाता है। इस मामले में कोर्ट को दखल देने का कोई आधार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि जीजेडआरआरसी एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य जानवरों के कल्याण और राजस्व यदि कोई उत्पन्न होता है तो उसका उपयोग सिर्फ बचाव कार्य करने के लिए संस्थान द्वारा किया जाएगा। याचिका में कहा गया था कि ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर एक निजी संस्थान है और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने उसे विदेश और स्वदेश से जानवरों को लाने की इजाजत दे दी। वह जामनगर में निजी चिड़ियाघर खोलना चाहते हैं।
बता दें कि ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलेशन सेंटर ने इस याचिका के विरोध में दाखिल हलफनामे में कहा था कि याचिकाकर्ता ने सुनी सुनाई बातों को आधार बनाकर यह याचिका दाखिल की है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने तमाम तथ्यों पर विचार करने के बाद ही उन्हें इजाजत दी थी। यहां तमाम जानवरों के इलाज के लिए विस्तृत प्रबंध किया गया है।
गुजरात में रिलायंस समर्थित चिड़ियाघर बनने का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की इसके खिलाफ दायर याचिका