सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर अवमानना के एक मामले में उन्हें नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल से इस मामले में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी से 22 अप्रैल तक या इससे पहले जवाब देने को कहा है।
राफेल पर दस्तावेजी सबूत को लेकर पिछले दिनों आए फैसले के बाद 'चौकीदार चोर है', वाले बयान पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होनी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई की पीठ ने कहा कि कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की, इसका मतलब है कि राहुल गांधी का बयान गलत है। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा शीर्ष अदालत की टिप्पणी को गलत तरह से पेश किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की थी। कोर्ट ने राफेल मामले को लेकर कुछ दस्तावेजों की स्वीकार्यता तय की थी। पिछले शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में राहुल गांधी के खिलाफ राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई टिप्पणी 'चौकीदार चोर है' को लेकर अवमानना याचिका दायर की थी।
मीनाक्षी लेखी का क्या था कहना
मीनाक्षी लेखी ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत तरह से पेश किया है। लेखी का आरोप था कि राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ बयान को इस तरह से पेश किया है जैसे वह उच्चतम न्यायालय का बयान हो। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर अपने एक आदेश में सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने तीन दस्तावेजों को सबूत के तौर पर मानते हुए पुनर्विचार याचिका पर आगे सुनवाई की बात कही थी। दरअसल, राहुल गांधी लगातार अपनी टिप्पणी 'चौकीदार चोर है' के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं।
राफेल डील से जुड़े लीक दस्तावेजों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
10 अप्रैल को राफेल डील मामले से जुड़े लीक दस्तावेजों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई कर सकता है। पिछली सुनवाई में राफेल डील के दस्तावेज लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की किसी भी दलील को मानने से इनकार कर दिया था।
पहले के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर
बता दें कि राफेल डील की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। तब दक्षिण भारत के एक बड़े अंग्रेजी दैनिक ने रक्षा मंत्रालयल की नोटिंग छाप दी थी, जिसमें ये बताया गया था कि किस तरह से पीएमओ ने रक्षा मंत्रालय की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था। तब सरकार ने इस संबंध में कहा था कि ये ऑफिसियल सेक्रेट्स एक्ट का मामला है और चुराए गए दस्तावेजों को सबूतों के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की यह बात नहीं मानी।