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सिर्फ ट्रांसजेंडर ही थर्ड जेंडर में शामिल, गे और बाइसेक्‍सुअल इससे बाहर : कोर्ट

सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि गे, लेस्बियन और बायसेक्सुअल को तीसरा जेंडर नहीं माना गया है। कोर्ट ने अप्रैल 2014 में थर्ड जेंडर को लेकर दिए अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि सिर्फ ट्रांसजेंडर को ही तीसरे थर्ड जेंंडर के रूप में पहचान दी गई है।
सिर्फ ट्रांसजेंडर ही थर्ड जेंडर में शामिल, गे और बाइसेक्‍सुअल इससे बाहर : कोर्ट

अदालत नेे गुुरुवार को स्‍पष्‍ट कहा कि उसने कभी गे, लेस्बियन और बायसेक्सुअल को थर्ड जेंडर नहीं माना।  केंद्र सरकार ने कोर्ट के 2014 के फैसले में संशोधन की मांग की थी। केंद्र ने अदालत से कहा कि उसे न्यायालय के फैसले को लागू करने में परेशानी हो रही है, क्योंकि आदेश के एक पैरा में लेस्बि‍यन, गे और बायसेक्सुअल को भी ट्रांसजेंडर के साथ तीसरे लिंग के दर्जे में रखा गया है।

इस पर अदालत ने कहा, 'इसमें कोई उलझन की स्थि‍ति नहीं है। इसमें साफ-साफ लिखा है कि लेस्‍बि‍यन, गे और बायसेक्सुअल थर्ड जेंडर की कटैगरी में नहीं आते।' सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह फॉर्म में थर्ड जेंडर की कटैगरी बनाए। यही नहीं, कोर्ट ने तीसरे लिंग को ओबीसी मानने और इस आधार पर शिक्षा और नौकरी में रिजर्वेशन की भी बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में एक अहम फैसला सुनाते हुए किन्नरों या ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रुप में पहचान दे दी। इससे पहले उन्हें मजबूरी में अपना जेंडर 'पुरुष' या 'महिला' बताना पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के रूप में पहचान करने के लिए कहा।

 

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