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पासपोर्ट विवाद को लेकर समर्थक ही करने लगे सुषमा स्वराज को ट्रोल, विरोधी दे रहे हैं साथ

ट्रोलर्स अपनी अमर्यादित भाषा, अपशब्द, और अपमानजनक वाक्य विन्यासों से किसी की भी छवि तार-तार कर सकते...
पासपोर्ट विवाद को लेकर समर्थक ही करने लगे सुषमा स्वराज को ट्रोल, विरोधी दे रहे हैं साथ

ट्रोलर्स अपनी अमर्यादित भाषा, अपशब्द, और अपमानजनक वाक्य विन्यासों से किसी की भी छवि तार-तार कर सकते हैं। विरोधियों से लेकर अपनों तक पर वे हमलावर हो सकते हैं। इसी कड़ी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ भी ट्रोलरों का संगठित अभियान चल पड़ा है। पासपोर्ट पर मचे विवाद के बाद पिछले कई दिनों से भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भाजपा समर्थकों के निशाने पर हैं। सोशल मीडिया पर जिन्हें प्रथम दृष्ट्या भाजपा का समर्थक समझा जाता है उनमें से अधिकतर ट्विटर, फेसबुक पर सुषमा के विरोध में पोस्ट कर रहे हैं। जबकि वे लोग सुषमा का समर्थन कर रहे हैं जो आमतौर पर भाजपा के विरोधी या आलोचक माने जाते हैं।

क्या है माजरा?

पिछले दिनों नोएडा के एक जोड़े- तन्वी सेठ और अनस ने आरोप लगाया कि वह शादी के बाद भी अलग-अलग धर्म को मानते हैं इसलिए उन्हें पासपोर्ट ऑफिस द्वारा पासपोर्ट जारी नहीं किया जा रहा है साथ ही उन्हें परेशान भी किया जा रहा है। इस मामले में दंपति ने विदेश मंत्रालय से मदद मांगी थी। दंपति का आरोप था कि पासपोर्ट ऑफिस में पीड़ित महिला से अपना धर्म बदलने को कहा गया था।

तन्वी सेठ ने कहा था कि लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में तैनात अधिकारी विकास मिश्र ने उनके साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया। उन्होंने सुषमा स्वराज को टैग करते हुए ट्वीट किया जिसके बाद पासपोर्ट कार्यालय ने फौरन कार्रवाई करते हुए उन्हें पासपोर्ट जारी कर दिया।

हालांकि विकास मिश्र ने अपनी सफाई में मीडिया से कहा था, "मैंने तन्वी सेठ से निकाहनामा में दर्ज नाम सादिया अनस लिखवाने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने मना कर दिया।” अधिकारी ने कहा कि उन्हें कड़ी जांच करनी होती है ताकि वह ये सुनिश्चित कर सकें कि कोई नाम बदलवाकर तो पासपोर्ट हासिल नहीं कर रहा है।

विरोध, नकारात्मक रेटिंग और अपशब्दों का अभियान  

तन्वी सेठ के आरोपों के बाद आरोपित अधिकारी विकास मिश्र का तबादला लखनऊ से गोरखपुर कर दिया गया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर कथित हिंदूवादी समूहों, कथित भाजपा समर्थकों ने विकास मिश्र के समर्थन में और सुषमा स्वराज के विरोध में अभियान चलाना शुरू कर दिया। इन लोगों ने सुषमा स्वराज के फेसबुक पेज पर नकारात्मक रेटिंग से लेकर ट्विटर पर अपशब्द और अपमानजनक भाषा के साथ उनको ट्रोल करना जारी रखा है।

ट्वीटर पर इंद्रा बाजपेयी ने लिखा, ''पक्षपातपूर्ण निर्णय। मैम आप पर हमें शर्म है... क्या यह आपकी इस्लामिक किडनी का नतीजा है??''

राजपूत विपूल सिंह ने लिखा, “मैडम हम आपका बहुत आदर करते हैं लेकिन उसका मतलब यह नहीं क्या आप की गलत नीतियों का भी समर्थन करते रहें एक फर्जी पासपोर्ट कैसे 1 घंटे के अंदर मिल सकता है फर्जी सादिया खान उर्फ तन्वी सेठ उस अधिकारी का क्या कसूर था उसने तो अपना कर्तव्य निभाया मुस्लिम तुष्टिकरण की हद।”

इस दौरान कई ऐसे ट्वीट भी आए जो बेहद अपमानजनक थे। इस दौरान सांप्रदायिक सौहाद्र को बिगाड़ने वाले ट्वीटों की भी भरमार देखी गई।

समर्थन में आए विरोधी

सुषमा कई हिंदुवादियों के निशाने पर रही लेकिन इस बीच कई विरोधियों और आलोचकों का साथ भी उन्हें मिला। कांग्रेस ने सुषमा के समर्थन में ट्वीट किया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि परिस्थिति या कारण क्या है लेकिन किसी के लिए धमकी या आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता। सुषमा स्वराज जी हम आपके निर्णय का समर्थन करते हैं, आपकी ही पार्टी के ट्रोलर्स ने आपके खिलाफ मैसेज किए हैं।


ट्रोल करने वालों का स्तर यहां तक गिर गया कि वे निजी तकलीफों पर भी निशाना साधने लगे। एक यूजर के ऐसे ही टिप्पणी पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने उसे नसीहत देते हुए कहा, “बेकार टिप्पणी। आपको सुषमा स्वराज से माफी मांगनी चाहिए। एक सेना अधिकारी के लिए ये पूरी तरह से अनुचित है।”


वैसे ही सुषमा के फेसबुक पेज पांच स्टार देते हुए हिना खान ने लिखा, "हमारे समय की एक अच्छी राजनेता जो गलत पार्टी में फंसी हैं।"

भाजपा के नेता-मंत्रियों ने नहीं किया बचाव! सुषमा ने दिया जवाब

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे हैरान करने वाली बात है कि अभी तक भाजपा या सरकार के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने इस रवैये पर अपना विरोध दर्ज नहीं कराया है। आखिरकार सुषमा को खुद इस पर पलटवार करना पड़ा। रविवार को सुषमा स्वराज ने ऐसे कुछ ट्वीट्स को रीट्वीट किया जिनमें उन्हें अपशब्द कहे गए थे। सुषमा ने बताया कि जिस समय पासपोर्ट को लेकर यह विवाद हुआ, उस वक्त वह देश से बाहर थीं। विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ''मैं 17 से 23 जून के बीच भारत से बाहर थी। मेरी अनुपस्थिति में क्या हुआ मुझे नहीं मालूम। खैर, मैं कुछ ट्वीट्स से बहुत सम्मानित अनुभव कर रही हूं। मैं उन ट्वीट्स को आप सभी के साथ साझा कर रही हूं, इसलिए मैंने उन्हें लाइक किया है।''

सवाल और भी...

इस पूरे प्रकरण में अंतरधार्मिक दुर्भावना के पुट तो नजर आए ही। साथ ही कई सवाल भी खड़े हुए। भाजपा को सोशल मीडिया में एजेंडा सेट करने वालों का पुरोधा माना जाता है लेकिन सुषमा स्वराज के ट्रोल होने पर वे ढाल के तौर पर काम करने से कैसे चूक गए? दरअसल सियासत ने ही एक भीड़ बनाकर उसके दिमाग में ट्रोल का जहर भरा है। अब भीड़ अपना अभ्यास कर चुकी है। वह असहमत होगी तो अपनी पार्टी को भी नहीं छोड़ेगी। ट्रोल करने वालों में अधिकतर वही आईडी इस्तेमाल हुए जो मोदी का गुणगान किया करते हैं। ऐसे में ये संगठित हमलावर अब कहां रुकने वाले हैं? अगला निशाना कोई और होगा...

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