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45 साल बाद भारत-पाक सीमा पर जीवंत 'बैटल आॅफ लोंगेवाला'

वर्ष 1971 के युद्ध में लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना की पूरी टैंक ब्रिगेड को भारतीय थलसेना की 23 पंजाब की टुकड़ी ने धूल चटा दी थी। थलसेना ने इस गौरवशाली युद्ध को 45 साल बाद जीवंत कर दिखाया है।
45 साल बाद भारत-पाक सीमा पर जीवंत 'बैटल आॅफ लोंगेवाला'

1965 के युद्ध की स्वर्ण जयंती के मौके पर कोणार्क कोर ने लोंगेवाला में इस युद्ध स्थल को वैसे ही सजीव किया है, जैसे वर्ष 1971 में 4... 5 दिसंबर की रात को हुआ था। यहां पर युद्ध स्थल बनाने के साथ उस दौर का सैन्य सामान, टैंक आदि प्रदर्शित किए हैं। साथ ही थिएटर में बेहतरीन दृश्य श्रव्य माध्यम से इसे जीवंत किया है। इसे पर्यटकों के लिए गत 24 अगस्त को खोल दिया गया।

ब्रिगेडियर विपुल सिंघल ने लोंगेवाला स्थल पर पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि एल्फा कंपनी 23 पंजाब के 120 जवानों ने 70 टैंकों। हजार पाक सैनिकों को नेस्तनाबूद कर दिया था। हमने उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से यु को रीक्रिएट किया है। यहां से युवा पीढ़ी प्रेरणा लेगी और यह युद्ध स्थल जैसलमेर का नया पर्यटन केन्द्र बन कर उभरेगा।

उन्होंने बताया कि 4-5 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की दो आम्र्ड रेजिमेंट ने करीब एक हजार सैनिकों के साथ भारत पर हमला कर दिया था। उस समय लोंगेवाला में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में केवल 120 जवान तैनात थे। जैसलमेर एयरबेस पर चार हंटर विमान थे जो रात में उड़ान नहीं भर सकते थे। एेसे में मेजर चांदपुरी के जिम्मे पाक सेना को लोंगेवाला में रोकने की जिम्मेदारी थी।

सिंघल ने कहा कि 120 जवानों ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पाक सेना को धूल चटा दी। उनके टैंक नेस्तनाबूद कर दिए और लोंगेवाला तक आई पाक सेना को आगे नहीं बढ़ने दिया। दिन उगने के साथ हंटर विमानों ने पाक सेना के टैंकों की कब्रगाह यहीं खोद दी। 

रक्षा प्रवा ले. कर्नल मनीष ओझाा ने बताया कि लोंगेवाला में इस युद्ध स्मारक का निर्माण ठीक उसी स्थान पर किया गया हैं, जहां 4 दिसंबर 1971 की रात को भारत के बहादुर सैनिकों ने अपने जज्बे के दम पर पाकिस्तान को करारी शिकस्त देते हुए 179 दुश्मनों को हताहत करने के साथ-साथ उसके 37 टैंकों को भी ध्वस्त किया था।

कर्नल ओझाा के अनुसार युद्ध की दृश्यावली का सजीव चित्राण बंकरों, बारूदी सुरंगों और बर्बाद हुए टैंकों अन्य सैन्य वाहनों की मदद से किया गया है। उच्च नैतिक मूल्यों से ओतप्रोत भारतीय सैनिकों की चित्राावली भी प्रदर्शित की गई है, जिनका देश के प्रति समर्पण बलिदान भाव ही लोंगेवाला विजय की आधारशिला बना। युद्ध में पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त करने वाली 106 एमएम रिकाइलेस गन को भी इस संग्रहालय में स्थापित किया गया है।

लोंगेवाला युद्ध की सजीव प्रस्तुति को चलचित्रा के माध्यम से प्रदर्शित करने के लिए संग्रहालय में एक सिनेमाहाॅल भी है।

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