जांच एजेंसियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि सरकार आतंकवादियों को दंड देने और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम तथा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिनियम को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा, अंडरकवर ऑपरेशन को कानूनी संरक्षण देने, खुफिया सूचनाओं को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने और आतंकवाद से लड़ाई से जुड़े सभी मुद्दों पर हम विचार कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा सोशल मीडिया के व्यापक इस्तेमाल के कारण देश में नए खतरे पनप रहे हैं। उन्होंने कहा, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आईएन), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डेक) जैसे विशेषज्ञ संगठनों की मौजूदा क्षमताओं को मजबूत किए जाने की जरूरत है। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार परस्पर कानूनी सहायता संधियों के जरिये प्राप्त सबूतों को कानूनी मंजूरी देने के लिए आपराधिक मामले कानून में परस्पर कानूनी सहायता के क्रियान्वयन पर भी विचार कर रही है। ताकि ऐसे सबूतों की स्वीकार्यता को लेकर कोई भी संदेह नहीं रह जाए।
सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार दलितों के विकास और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। और सरकार ने ऐसा माहौल बनाया है जहां यह समुदाय पीड़ित होने की दशा में बगैर किसी हिचक के पुलिस से संपर्क कर सकता है। उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) कानून में साल 2014 में संशोधन करके और इसमें अपराध की नई श्रेणी जोड़कर इस कानून को और मजबूत बना दिया है। (एजेंसी)