इस दौरान सिंह ने कहा कि पुलिस में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार चरम पर है। थानों में आम इंसान जाने से डरता है। सिंह यहीं नहीं रुके, बोले कि विवेचना के नाम पर लूट-खसोट होती है। उगाही की रकम की बंदरबांट होती है। ब्यूरोक्रेसी और राजनीति में फंसकर पुलिस अपना मुख्य काम ही भूल गई। सिंह ने कहा कि बार्डर पर स्थित राज्यों जैसे कश्मीर, पंजाब, नार्थ-ईस्ट में भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। मप्र और उप्र तो बहुत पीछे हैं।
प्रकाश सिंह ने कहा कि पुलिस सुधार के दो पहलू हैं। भीतरी और बाहरी। सरकार को इन दोनों पर विचार करना चाहिए। पुलिस आम जन का भरोसा क्यों नहीं जीत पा रही। इसके पीछे कहीं न कहीं ब्यूरोक्रेसी, राजनीतिकरण या भ्रष्टाचार हैं। जिसे समाप्त करना होगा।
मैंने उप्र के 10 आईपीएस और 10 आईएस की शिकायत की थी कि ये 100-100 करोड़ के मालिक हैं। लेकिन इनकी जांच नहीं हुई। मैंने शिकायत करके अपने 20 दुश्मन पाल लिए। किसी ने मुझसे कहा कि सर आप इनकी शिकायत क्यों कर रहे हैं। किसी ने आपकी एक करोड़ की सुपारी दे दी तो कहां जाएंगे। मैंने कहा कि सिर ओखली में दे दिया है, तो फिर डर किस बात का।