कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से पूरी देश की स्थिति लचर हो चली है। अस्पतालों से लेकर श्मशान तक- हर तरफ भयावह मंजर दिखाई दे रहा है। हर दिन चार से अधिक लोगों की मौत हो रही है। राज्य-दर-राज्य पाबंदियां लागू हैं। हालांकि, कुछ दिनों से कोरोना के नए मामले में कमी देखने को मिल रहा है।
वही, दिल्ली में बीते छह महीने से भी अधिक समय से किसान नए कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा के रेवाड़ी में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है, "सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बनाती और किसानों के सभी मसलों पर बातचीत नहीं करेगी तब तक किसान यहां से नहीं जाएगा, वह यहां पर डटा रहेगा। कोरोना का रास्ता अस्पताल जाता है और किसान का रास्ता पार्लियामेंट जाता है, दोनों के रास्ते अलग है।"
दरअसल, देशभर के किसान, खास तौर से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य राज्य के किसान राजधानी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इनकी मांग है कि केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। जब तक मांग मानी नहीं जाती है। तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। किसानों और केंद्र के बीच अब तक दस से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट भी मामले पर सुनवाई करते हुए कानूनों पर अंतरिम रोक लगा चुका है। किसान इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि केंद्र इसमें संसोधन की बात कह रही है।