भारतीय सेना में 30 साल तक सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए मोहम्मद अजमल हक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया है। गुवाहाटी में रह रहे हक को विदेशी मामलों की ट्राइब्यूनल से एक नोटिस मिला है। जिसमें उन्हें 'संदिग्ध वोटर' श्रेणी में रखते हुए ट्राइब्यूनल के सामने पेश होने को कहा गया है।
डीएनए के अनुसार अजमल का कहना है कि उनकी पहली सुनवाई 11 सितंबर की थी लेकिन वह उसमें जा नहीं सका क्योंकि नोटिस उनके पास देर से पहुंचा था। अब 13 अक्टूबर को अजमल अपने पक्ष में बात रखेंगे।
हक ने एनडीटीवी को बताया, "मैं बहुत उदास हूं, मेरी आत्मा टूट गई है ... 30 साल की सेवा के बाद मुझे इस तरह के अपमान का सामना करना पड़ रहा है। अगर मैं एक अवैध बांग्लादेशी था, तो मैं भारतीय सेना की सेवा कैसे किया?"
अजमल ने कहा कि कोर्ट के समन के मुताबिक 1971 में हम बिना कागजों के भारत में आए थे जबकि मेरे पिता मकबूल अली का नाम 1966 की मतदाता लिस्ट में शामिल है। इतना ही नहीं मेरी अम्मी रहीमन नेसा का नाम 1951 के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स में शामिल है। अजमल ने कहा कि मैं इसी मिट्टी से ताल्लुक रखता हूं, फिर क्यों सरकार हमें सामप्रदायिक स्तर पर प्रताड़ित कर रही है।
बता दें कि अजमल 1986 में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। जब वे सेवानिवृत हुए थे तो वे उस समय जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। अजमल ने कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सेना के लिए तकनीकी विभाग में देश के अलग-अलग हिस्सों में काम किया। एलओसी, इंडो-चाइना बोर्डर और कोटा में भी अजमल भारतीय सेना से जुड़े रहे।