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छत्तीसगढ़ की इस महिला ने साबित किया कि घर की छत पर भी की जा सकती है खेती

खेती करने के लिए खेत का मालिक होना ही जरूरी नहीं है। अगर दिल में कुछ खास करने की लगन हो तो फिर घर की छत पर...
छत्तीसगढ़ की इस महिला ने साबित किया कि घर की छत पर भी की जा सकती है खेती

खेती करने के लिए खेत का मालिक होना ही जरूरी नहीं है। अगर दिल में कुछ खास करने की लगन हो तो फिर घर की छत पर भी खेती की जा सकती है, यही कर दिखाया है रायपुर की महिला उद्यमी किसान पुष्पा साहू ने। साहू रायपुर, छत्तीसगढ़ में अपने घर की छत पर फलों के साथ सब्जियां, फूल और औषधीय पौधों की जैविक खेती कर घर की जरूरतें तो पूरी कर ही रही हैं, साथ ही इन पर होने वाले खर्च को भी बचा रही हैं।

पुष्पा साहू जुलाई 2013 से घर की छत पर खेती कर रही हैं। फिलहाल सब्जियों के अलावा औषधीय एवं सुगंधित पौधों, मसाले वाले पौधों के साथ-साथ फलों में नींबू, सेब, एप्पल बेर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, चीकू, अनार, कीनू और पपीता की खेती कर रही हैं। इसके साथ ही राज्य और राज्य के बाहर महिलाओं, किसानों और युवाओं को घर की छत पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही हैं। उन्हें प्रशिक्षण भी दे रही हैं।

साहू की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा की जा रही छत पर जैविक खेती से प्रेरित होकर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री के निर्देशानुसार राज्य के प्रमुख नगर निगमों रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर और रायगढ़ में कम्प्लीट वेजिटेबल ग्रोइंग किट इन अर्बन एरिया योजना शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार 4,500 रुपये की किट को किसानों को केवल 500 रुपये में उपलब्ध करा रही है।

उन्होंने अपनी छत पर गोल या चौकोर प्लेटफॉर्म का निर्माण किया और उस पर पी.वी.सी टंकियों (200, 500 और 1,000 घन लीटर क्षमता वाली), जिसके ऊपर के भाग को काट दिया है, उसमें फलदार पौधे लगाए हैं। फलदार पौधों के साथ-साथ मौसमी साग-सब्जियों जैसे बैगन, टमाटर,  फूलगोभी, मूली, गाजर, करेला, लहसुन, हल्दी और मिर्ची की जैविक खेती कर रही हैं।

पौधों की सिंचाई के लिए ग्रैविटी फेड ड्रिप सिस्टम जो कि घर की पानी की टंकी से जुड़ी है। इसके निर्माण के लिए मुख्य पानी की टंकी से ड्रिप के लेट्रलर पाइप को जोड़ दिया जाता है। इससे पौधों की क्यारियों में पानी बूंद-बूंद गिरता है। इस सिस्टम से संबंधित सब्जी या फल पर पानी निर्धारित मात्रा में ही पहुंचता है। ड्रिप चालू और बंद करने के लिए वॉल्व का उपयोग किया गया है। इससे लगभग 50 फीसदी सिंचाई जल की बचत होने के साथ ही अच्छा उत्पादन तो मिलता ही है, साथ ही समय की भी बचत होती है।

साहू से प्रेरित और प्रशिक्षण लेकर राज्य और देश के हजारों किसानों ने अपने घर की छत पर सब्जियों और फलों की जैविक खेती करनी शुरू कर दी है। इसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं। इससे न केवल ताजा और पौष्टिक सब्जियां और फल घर पर ही उपलब्ध हो जाते हैं, बल्कि यह कमाई का भी अच्छा स्रोत बन रहा है।

बता दें कि पुष्पा को इस नवाचार के लिए आउटलुक एग्रीकल्चर इनोवेशन अवार्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

 

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