भारत ने आधुनिकतम एवेंजर ड्रोन विमानों के लिए अनुरोध किया था, जो कि मुख्यत: मानवरहित लड़ाकू विमान होता है। इसकी मांग विशेष तौर पर चीन पर नजर रखते हुए की जा रही है। भारत ने प्रीडेटर एक्सपी श्रेणी के ड्रोन की भी मांग की है, जो कि आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों और आतंकी खतरों के लिए निरीक्षणकर्ता की भूमिका निभाते हैं। इस संबंध में बातचीत को पिछले कुछ माह में गति मिली है लेकिन अमेरिका ने मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) से जुड़ने के भारत के लंबित अनुरोध के बारे में कोई औपचारिक प्रतिबद्धता नहीं जताई है और न ही इस संदर्भ में कोई सार्वजनिक संकेत ही दिए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अपने नौसैनिकों के साथ नई दिल्ली द्वारा किए गए बर्ताव से नाराज इटली ने भारत को एमटीसीआर का सदस्य बनने से रोक रखा है।
हालांकि भारतीय और अमेरिकी दोनों ही अधिकारी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे अगले कुछ माह में अंतिम अवरोध को भी पार कर लेंगे और इस तरह वे रक्षा व्यापार को अगले स्तर तक ले जा सकेंगे, जिसमें सशस्त्र ड्रोन भी शामिल होंगे। यूएस एंड इंटरनेशनल स्ट्रैटजिक डेवलपमेंट ऑफ जनरल अटॉमिक्स के मुख्य कार्यकारी विवेक लाल ने पीटीआई भाषा को बताया, हां, जनरल अटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक भारत द्वारा प्रीडेटर-सीरीज रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) में ली जा रही दिलचस्पी से वाकिफ है। जनरल अटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इस विमानों का निर्माण करती है।
उन्होंने कहा, अमेरिकी निर्यात नियमों के कारण, अमेरिकी सरकार को प्रीडेटर श्रेणी की आरपीए भारत सरकार को निर्यात करने के लिए मंजूरी देनी होगी। जीए-एएसआई भारत और अमेरिका के हालिया द्विपक्षीय संबंधों के उच्चतम स्तर को देखते हुए बेहद उत्साहित है और हमें उम्मीद है कि हम इन चर्चाओं में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभा सकते हैं।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    