प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "मैं उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों पर अपडेट ले रहा हूं।" वहीं, अमित शाह ने कहा, एनडीआरएफ की कुछ और टीमें दिल्ली से एयरलिफ्ट करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं। हम वहां स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने CM त्रिवेंद्र सिंह रावत, DG ITBP व DG NDRF से बात की। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने में युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। NDRF की टीमें बचाव कार्य के लिए निकल गयी हैं। देवभूमि को हर संभव मदद दी जाएगी।"
यूपी में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। गंगा से सटे जिलों में खास तौर से निगरानी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों के सभी जिलाधिकारियों/पुलिस अधीक्षकों को लगातार निगरानी के निर्देश दिये गये हैं। परिस्थितियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एसडीआरएफ को भी अलर्ट कर दिया गया है। प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित जनपदों में जल स्तर की निरन्तर निगरानी की जा रही है। जल स्तर बढ़ने की दशा में आवश्यकता पड़ने पर गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को वहां से अन्यत्र भेजा जाएगा। राहत और बचाव के लिए निर्देश दिये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड सरकार के साथ खड़ी है। उत्तराखण्ड सरकार को आवश्यकता पड़ने पर सभी आवश्यक मदद दी जाएगी।
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आगे सीएम रावत ने कहा, "एहतियातन भागीरथी नदी का फ्लो रोक दिया गया है। अलकनन्दा का पानी का बहाव रोका जा सके इसलिए श्रीनगर डैम तथा ऋषिकेष डैम को खाली करवा दिया है। एसडीआरएफ अलर्ट पर है। मेरी आपसे विनती है अफवाहें न फैलाएं। मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूं।"
Massive #flood in #DhauliGanga, Joshimath seen near Reni village, where some water body above flooded and destroyed many river bankside houses due to some cloudburst, casualties feared, @ITBP_official rushed for rescue pic.twitter.com/aQphYQuIcH
— DD News (@DDNewslive) February 7, 2021
गौरतलब है कि इसी महीने के आखिरी सप्ताह से हरिद्वार में कुंभ मेला होना है। यदि खतरा बढ़ता है तो राज्य सरकार को कुछ ठोस कदम उठाते हुए कार्यक्रम को लेकर सोचना पड़ सकता है।