पुनिया ने कहा कि भाजपा के मंत्री तो शुरू से ही वेमुला को दलित के बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग का सदस्य बता रहे हैं। इसीलिए ऐसा जांच आयोग गठित किया गया जो उनकी बात पर मुहर लगा सके। उन्होंने कहा कि गुंटूर के जिला कलेक्टर और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वेमुला दलित ही था, लिहाजा न्यायिक आयोग की बात पूरी तरह गलत है।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा कि यह कैसा न्यायिक आयोग है जिसने वेमुला के आत्महत्या करने के कारणों तथा कांग्रेस द्वारा उठाये गए अन्य सवालों को छोड़कर उसकी जाति पर ही टिप्पणी दे दी। उसे ऐसा करने का अधिकार भी नहीं है। जाति के बारे में बताने का अधिकार जिला कलेक्टर और राजस्व बोर्ड को है। बाराबंकी लोकसभा सीट से सांसद रह चुके पुनिया ने कहा कि वेमुला की आत्महत्या का मामला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इस शोध छात्र को आत्महत्या के लिये मजबूर करने वाले लोगों की पहचान करके उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसी वारदात ना हो। गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला ने विभिन्न आरोपों को लेकर नवम्बर 2015 में विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने के बाद इस साल 17 जनवरी को खुदकुशी कर ली थी। इस मामले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रोय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव पर दलित कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस मामले ने सियासी रंग ले लिया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हैदराबाद विश्वविद्यालय का दौरा किया था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेमुला की आत्महत्या पर दुख जाहिर करते हुए कहा था मां भारती ने अपना एक लाल खो दिया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वेमुला की आत्महत्या के कारणों की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। मीडिया की खबरों के अनुसार आयोग ने अपनी रपट में कहा है कि वेमुला दलित नहीं बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखता था।