Advertisement

कोयला घोटाले में विजय दर्डा को जमानत

कोयला घोटाला मामले में एक विशेष अदालत ने राज्यसभा सांसद विजय दर्डा, उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा और पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता को आज जमानत दे दी। यह मामला छत्तीसगढ में फतेहपुर पूर्वी कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
कोयला घोटाले में विजय दर्डा को जमानत

सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश भरत पाराशर ने जिन अन्य आरोपियों की जमानत मंजूर की है, उनमें दो वरिष्ठ लोक सेवक के.एस. क्रोफा एवं के.सी. सामरिया तथा कारोबारी मनोज कुमार जायसवाल शामिल हैं।

अदालत ने आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर यह राहत दी है। अदालत ने आरोपी फर्म मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को फतेहपुर (पूर्वी) कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में आरोपियों को समन जारी किए थे जिसके मद्देनजर आरोपी अदालत में पेश हुए थे। सीबीआई ने अदालत में कहा कि वह सभी आरोपियों को आज दस्तावेजों की प्रति दे देगी जिसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की। अदालत ने गत वर्ष 20 नवंबर को इस मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और एजेंसी को मामले की और जांच करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि राज्यसभा सांसद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्रों में तथ्यों की गलत व्याख्या की।

अदालत ने कहा था कि दर्डा ने छत्तीसगढ़ में फतेहपुर (पूर्वी) कोयला ब्लॉक का आवंटन जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में हासिल करने के लिए ऐसा किया था। दर्डा लोकमत समूह के अध्यक्ष हैं। अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया निजी पक्षों और लोक सेवकों के बीच हुई साजिश को आगे बढाते हुए निजी पक्षों ने धोखाधड़ी की। सीबीआई ने इस मामले में दर्डा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। दर्डा जेएलडी फर्म के निदेशक भी थे। लोकसेवकों की कथित भूमिका पर अदालत ने कहा था कि प्रथमदृष्टया यह स्पष्ट है कि कोयला मंत्रालय और अनुवीक्षण समिति मेसर्स जेएलडी को हर कीमत पर फतेहपुर (पूर्वी) में विवादित कोयला ब्लॉक आवंटित करना चाहती थी। अदालत ने कहा कि सरकारी सेवकों का देश के राष्ट्रीयकृत प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण है और उन्होंने प्रथमदृष्टया केवल जनहित के खिलाफ ही काम नहीं किया बल्कि उस विश्वास को भी तोड़ा जो कानून ने उन पर किया।

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में पहले आरोप लगाया था कि जेएलडी यवतमाल ने गलत तरीके से यह छुपाया कि उसके समूह की कंपनियों को पूर्व में 1995 से 2005 के बीच चार कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे लेकिन बाद में सीबीआई ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दी कि कोयला मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन में मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड को कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad