सिंह ने जिस अंदाज में ट्वीट किया गया वह जाहिर करता है कि वह अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। सिंह ने अपने ट्वीट में कहा था कि मैंने अपने कर्तव्य का पालन किया लेकिन मीडिया का जो रुख था उससे मुझे वितृष्णा है। दस मिनट में ही पार्टी से निकलने के बाद सिंह के ट्वीट के बाद बवाल मच गया। सरकार और भाजपा भी सिंह के इस टवीट से नाराज है।
सूत्रों के मुताबिक सिंह ने ट्वीट मीडिया से ही नाराजगी के चलते नहीं किया बल्कि सरकार की कार्यशैली से वह नाराज चल रहे हैं। पहली नाराजगी तो पाक उच्चायोग द्वारा बुलाए गए कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर ही थी कि सरकार की ओर से अंतिम समय में कहा गया जाने के लिए। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनने के पहले सिंह ने कुछ मुद्दे उठाए थे जिस पर उन्हें आश्वस्त किया गया था कि सरकार बनने के बाद इन मुद्दों पर कार्रवाई की जाएगी। हथियारों की खरीद, दलाली और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे सिंह ने उठाए थे लेकिन इस सरकार का भी रुख यूपीए सरकार की तरह ही नजर आ रहा है। दूसरी तरफ सेना के कुछ अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सिंह ने सवाल उठाए थे लेकिन उनको लेकर भी इस सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
बताया जा रहा है कि सिंह को रक्षा मंत्रालय भी दूर रखा गया ताकि वह कोई कदम न उठा सकें। ऐसे में सिंह का नाराज होना लाजिमी है। सिंह की नाराजगी को विपक्षी दल गंभीरता से ले रहे हैं। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सिंह को अप्रसन्नता जाहिर करने की बजाय पद छोड़ देना चाहिए। तिवारी का कहना है कि जब अन्य मंत्रियों ने पाकिस्तान के कार्यक्रम में जाने से मना किया तो सिंह भी ऐसा कर सकते थे। लेकिन ऐसा करने की बजाय ट्वीट कर गुस्से का इजहार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान से भारत के रिश्ते इन दिनों मधुर नहीं चल रहे हैं। हाल ही जम्मू-कश्मीर में घटित दो आतंकी घटनाओं से भी रिश्तों में खटास बढ़ी है। ऐसे में पाक उच्चायोग द्वारा बुलाए गए किसी कार्यक्रम में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भाग लेने गए वीके सिंह निशाने पर आ गए।