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हाईकोर्ट ने केन्द्र से पूछा, ‘बलात्कार और हत्या का एक ही दंड, क्या अपराधी पीड़ितों को जिंदा छोड़ेंगे?’

12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने के प्रावधान पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने...
हाईकोर्ट ने केन्द्र से पूछा, ‘बलात्कार और हत्या का एक ही दंड, क्या अपराधी पीड़ितों को जिंदा छोड़ेंगे?’

12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने के प्रावधान पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार की ओर से लिए गए कड़े फैसलों को लेकर कई सवाल खड़े किए।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक खंडपीठ ने सरकार से पूछा, "क्या आपने कोई अध्ययन किया है, कोई वैज्ञानिक मूल्यांकन है कि मृत्युदंड बलात्कार को रोकेगा? क्या आपने पीड़ितों के अंजाम के बारे में सोचा है? कितने अपराधी पीड़ितों को जीवित छोड़ेंगे क्योंकि बलात्कार और हत्या का एक ही दंड है।"

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी मधु किश्वर की उस याचिका पर की है जिसमें उन्होंने मांग रखी थी कि निर्भया कांड के बाद 2013 में कानून में जो संशोधन किए गए हैं, वो बेहद सख्त हैं और कई बार गलत तरीके से फंसाए गए व्यक्ति की जिंदगी खराब कर देता है।

इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस-2018 पर मुहर लगने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बिना देर किए इस पर मुहर लगा दी। राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी मिलते ही यह कानून बना गया है। अब 12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। कैबिनेट ने 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया था।

 

 

 

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