विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत को पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों के मामले में हर समय ‘‘सुगमता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।’’
बिना अधिक विवरण साझा किए जयशंकर ने कहा, ‘‘आखिरकार, हमारे प्रत्येक पड़ोसी को यह समझना चाहिए कि भारत के साथ काम करने से आपको लाभ होगा और भारत के साथ काम न करने की एक कीमत चुकानी पड़ेगी।’’
विदेश मंत्री ने ‘डीडी इंडिया’ पर आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान कहा, ‘‘कुछ लोगों को इसे समझने में अधिक समय लगता है, जबकि कुछ लोग इसे बेहतर समझते हैं। बेशक इसका एक अपवाद पाकिस्तान है, क्योंकि उसने अपनी पहचान सेना के तहत परिभाषित की है और उसमें शत्रुता का भाव है। इसलिए यदि आप पाकिस्तान को एक तरफ रख दें, तो यह तर्क हर जगह लागू होगा।’’
जयशंकर ने शनिवार रात अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लगभग एक घंटे की बातचीत का लिंक साझा किया।
विदेश मंत्री से एक रणनीतिक विशेषज्ञ के साथ बातचीत में पिछले 11 वर्षों में अमेरिका और चीन के रुख में आए बदलावों के बारे में भी पूछा गया और पूछा गया कि नयी दिल्ली इस बदलाव को कैसे देखती है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘जहां तक अमेरिका का सवाल है, हां, उसके बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है, इसलिए एक व्यवस्थित स्तर पर, आप इसे यथासंभव अधिक से अधिक संबंधों के साथ स्थिर करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपको चीन के सामने खड़ा होना है, तो हम काफी कठिन दौर से गुजर चुके हैं, इसलिए क्षमताओं को बेहतर बनाना महत्वपूर्ण है।’’
बातचीत के दौरान जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता तथा खाड़ी देशों के साथ बढ़ती नजदीकी के साथ ही आसियान और हिंद-प्रशांत क्षेत्रों के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता के बारे में विस्तार से बात की।