केंद्र के तीन नए कृ़षि संबंधी कानूनों के खिलाफ करीब तीन महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ पश्चिम बंगाल चुनाव में मोर्चा खोल दिया है। किसान संगठन के वरिष्ठ नेताओं का समुह पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं। किसानों ने शुक्रवार से ही सिलसिलेवार तीन दिन तक महापंचायतें, जनसभाएं, रैलियां के जरिए नए कानूनों को लेकर भाजपा को घेरेंगे और उनके प्रचार करेंगे।
इन जनसभाओं में किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरुनाम सिंह चढूनी समेत अन्य मौजूद रहेंगे। इसके अलावा हन्नान मुल्ला, युद्ववीर मेघा पाटकर उक्त कार्यक्रमों में शामिल होंगे। ये नेता किसानों- मजदूर और आम जनता को नए कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान को बताएंगे।
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हालांकि, किसान नेता राकेश टिकैत ने बंगाल जाने से पहले ये स्पष्ट किया था कि वो किसी भी दल के समर्थन में वोट नहीं मांगेंगे। उनका मकसद भाजपा को टक्कर देने वाले दूसरे दलों के प्रत्याशी को जिताना है। लेकिन, ये स्पष्ट है कि किसानों के बंगाल में पहुंचने से विपक्षी दलों को फायदा पहुंच सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 12 से 14 मार्च के बीच बंगाल की राजधानी कोलकाता, नंदीग्राम, सिंगूर, आसनसोल में लगातार रैलियां, रोड शो, जनसभाएं और किसान महापंचायतें करेंगे।
तीनों नए कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का सौ दिनों से अधिक समय हो चला है। सौ दिन पूरे होने पर बीते दिनों किसानों ने केंद्र के खिलाफ काला दिवस मनाने का ऐलान किया था। अब किसानों ने चल रहे प्रदर्शन के चार महीने पूरे होने पर 26 मार्च को भारत बंद बुलाया है। बुधवार को किसान संगठनों ने ये अपील की है। दरअसल, किसान कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जबकि केंद्र इसमें संशोधन की बात कह रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों पर जनवरी महीने में ही अंतरिम रोक लगा चुकी है।