पंजाब नैशनल बैंक फर्जीवाड़े मामले ने देश भर में हलचल तेज कर दी है। इसी बीच रोटोमैक कलम बनाने वाली कंपनी ग्लोबल प्राइवेट लि. के मालिक विक्रम कोठारी भी चर्चा में बने हुए हैं। विक्रम कोठारी के रोटोमेक समूह पर कुल 3695 करोड़ रुपए की देनदारी है। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर यह केस दर्ज किया गया। इसके बाद ईडी और सीबीआई का शिकंजा कोठारी पर कस गया है।
आरोप है कि रोटोमैक और विक्रम कोठारी सहित 3 संचालकों ने 7 बैंकों के 3695 करोड़ रुपए नहीं चुकाए, इन लोगों ने धोखाधड़ी करके ये कर्ज हासिल किया था। इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक ने कोठारी को ये लोन दिए थे।
'रोटोमैक ग्लोबल' के सीएमडी विक्रम कोठारी उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। उनकी कंपनी स्टेशनरी के व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। विक्रम कोठारी ने 1992 में रोटोमैक ब्रांड शुरू किया था, जो भारत में एक बड़ा ब्रांड बनकर उभरा।
मशहूर उद्योगपति मनसुख भाई कोठारी विक्रम कोठारी के पिता हैं। मनसुख भाई कोठारी ने 'पान पराग' नाम के गुटखा ब्रांड की शुरूआत की थी। मनसुख भाई के बाद उनके बेटे विक्रम ने यह काम संभाला। जिसके बाद उन्हें गुटखा किंग भी कहा जाने लगा।
दरअसल मनसुख भाई कोठारी ने अपने दो बेटे विक्रम और दीपक के साथ 1973 में पान पराग के नाम से पान मसाला बनाने का व्यवसाय शुरू किया। देखते ही देखते इसका नशा और जायका लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
लेकिन 1992 में विक्रम कोठारी पान पराग से अलग हो गए। कोठारी ने कानपुर में रोटोमैक पेन का कारखाना खोला।
‘पान पराग’ हो या ‘रोटोमैक’ दोनों ही ब्रांडो में फिल्मी हस्तियों को जोड़ने का काम इन्होंने बखूबी किया। एक ओर जहां अशोक कुमार और शम्मी कपूर जैसे बड़े नाम पान पराग का विज्ञापन करते दिखे तो दूसरी ओर रवीना टंडन रोटोमैक पेन के विज्ञापन में दिखीं।
विक्रम कोठारी को लेकर एक बात यह भी सामने आई कि जिस विक्रम का नाम लोन डिफॉल्ट के मामले में सामने आया है, 1983 में उन्हें सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान के कारण लायन्स क्लब ने गुडविल एंबेसडर बनाया था।