हाल ही में आई प्रदूषण पर आधारित डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में 30 भारतीय शहरों के नाम शामिल होने को लेकर आज पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने डब्ल्यूएचओ पर निशाना साधा। रिपोर्ट पर बूरी तरह बिफरे जावड़ेकर ने पश्चिमी देशों को खुद पर ध्यान देने की नसीहत भी दे डाली। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कारकों के तौर पर वायु गुणवत्ता का विश्लेषण करते हुए सल्फर डाईऑक्साइड, नाईट्रोजन डाईऑक्साइड और बेंजीन जैसे कई प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश खुद पर ध्यान देने की बजाय भारत और कुछ अन्य देशों पर ही अधिक ध्यान क्यों देते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही अमेरिका और यूरोप के प्रमुख शहरों के वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी करेगी और उनके आंकड़े जुटाना कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा, हम आंकड़े जारी करेंगे क्योंकि लोगों को पूरी तस्वीर पता चलनी चाहिए।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 2012-13 के आंकड़ों पर आधारित है जिसे प्रदूषणकारी तत्वों पीएम 10 और पीएम 2.5 पर विचार करते हुए तैयार किया गया था और इसमें दिल्ली को दुनिया का 11वां सबसे प्रदूषित शहर बताया गया। पर्यावरणविदों ने रिपोर्ट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि यह सही तस्वीर पेश नहीं करती। जावड़ेकर ने कहा कि केवल पीएम 2.5 के आधार पर शहरों को प्रदूषित बताना भ्रामक है क्योंकि आठ अन्य प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व होते हैं जिनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर होता है। उन्होंने कहा, इन आठ बड़े प्रदूषणकारी तत्वों में ओजोन प्रदूषण, बेंजीन प्रदूषण, सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड हैं। सभी का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। प्रत्येक मानक, प्रत्येक प्रदूषणकारी तत्व के आधार पर दुनिया में विभिन्न शहर अच्छे और बुरे हैं।
मंत्री ने कहा, प्रत्येक नागरिक को पूरी जानकारी रखने का अधिकार है। पीएम 2.5 केवल एक प्रदूषणकारी तत्व नहीं है। पश्चिमी देशों के कई शहर भी इस समस्या से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के प्रदूषण के आंकड़े जारी करने का सरकार का फैसला जवाब देने के लिए नहीं बल्कि जागरुकता लाने के लिए है। दिल्ली में वायु प्रदूषण पर उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए कई पक्षों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तीन साल की कार्ययोजना बनाई गई है और सरकार इस पर गंभीरता से काम कर रही है।जावड़ेकर ने कहा, वाहनों का प्रदूषण है, धूल से प्रदूषण है, कचरा जलने और उद्योगों का प्रदूषण है। हम पहले ही काफी हद तक उद्योगों के प्रदूषण से निपट चुके हैं।