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FCRA लाइसेंस रद्द पर सरकार की सफाई, संसद के एक्ट के तहत बनी संस्थाएं नहीं होंगी प्रभावित

एचआरडी मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि संसद के एक अधिनियम के माध्यम से बनाई गई संस्थाओं को...
FCRA लाइसेंस रद्द पर सरकार की सफाई, संसद के एक्ट के तहत बनी संस्थाएं नहीं होंगी प्रभावित

एचआरडी मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि संसद के एक अधिनियम के माध्यम से बनाई गई संस्थाओं को विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एफसीआरए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), आईआईटी-दिल्ली और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) सहित सैकड़ों संस्थानों के विदेशी वित्तीय मदद लेने पर रोक लगा दी थी।समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन सभी संस्थानों का फॉरेन कंट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 (एफसीआरए) के तहत मिला लाइसेंस रद्द कर दिया था। 

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि संसद के एक अधिनियम के जरिए बनाए गए संस्थानों को रिटर्न दाखिल करने से छूट दी जाती है क्योंकि वे वार्षिक सरकारी लेखापरीक्षा के तहत आते हैं। यानी जो इसके अंतर्गत नहीं आते सिर्फ उन्हीं का लाइसेंस रद्द होगा।

क्या है वजह?

कहा जा रहा है कि इन सभी संस्थानों ने पिछले पांच सालों का सालाना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं जमा किया है। जो संस्थान या संगठन एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं है वो विदेशी संस्थानों या व्यक्तिों से चंदा नहीं ले सकते। विदेशी चंदा लेने वाले संस्थानों को हर साल अपने चंदे और खर्च का विवरण सरकार को देना होता है। किसी शैक्षणिक संस्थान को विदेश में रहने वाले अपने किसी पूर्व छात्र से भी चंदा लेने के लिए एफसीआरए संख्या की जरूरत होती है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ये संस्थान अपने पिछले पांच सालों का 2010-11 से 2014-15 का रिटर्न दाखिल करने में विफल रहे हैं, जबकि उन्हें इस बारे में कई बार सूचित किया गया।

 

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