एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अगर कोई नौकरशाह या न्यायिक अधिकारी कानून के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे उसके कार्य से मुक्त कर दिया जाता है लेकिन नेताओें के साथ ऐसा नहीं है। दोषी होने के बावजूद वे अपने पद पर बने रहते हैं।
याचिका के अनुसार, 34 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित पड़े हुए हैं लेकिन इस समस्या के निपटारे के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। उनमें से कम से कम 25 फीसदी सांसदों पर गंभीर और जघन्य अपराधों जैसे बलात्कार, हत्या, हत्या की कोशिश, लूट, डकैती और फिरौती के मामले दर्ज हैं।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और आरएफ नरीमन की पीठ ने याचिका पर सुनवायी करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। यह याचिका दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी।