सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पंचायत सचिव या कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रमाण पत्र नागरिकता के दावे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, बशर्ते इसके लिए समुचित जांच की गई हो।
जस्टिस रंजन गोगोई और आर एफ नरीमन की खंडपीठ ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस फैसले पर यह आदेश दिया है जिसमें नागरिकता के दावे के लिए तीन प्रमाण पत्रों को अवैध ठहरा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्राम पंचायत सचिव द्वारा जारी प्रमाण पत्र को नागरिकता के सबूत के तौर पर माना जा सकता है क्योंकि इसमें परिवार से जुड़ी जानकारी होती है।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 22 नवंबर को ग्राम पंचायत द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र को नागरिकता का दस्तावेज मानने से इनकार करते हुए कहा था कि इसके कोई मायने नहीं है जब तक नागरिकता से संबंधित राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) में नाम दर्ज कराने के लिए इसके साथ कोई और वैध रिकॉर्ड न दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ग्राम पंचायत सचिव द्वारा जारी प्रमाण पत्र की वैधता पर ही सुनवाई कर रही थी। एनआरसी में नाम दर्ज कराने के लिए 3.29 करोड़ के दावों में से 48 लाख नागरिक ग्राम पंचायत सचिव के प्रमाण पत्र के आधार पर दावा कर रहे हैं। एनआरसी असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए कवायद कर रहा है। एनआरसी का ड्राफ्ट 31 दिसंबर या उससे पहले प्रकाशित किया जाना है।