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रोहित वेमुला की मां को फरमान, दलित होने का सबूत दें

आंध्र प्रदेश सरकार ने रोहित वेमुला की मां राधिका को कारण बताओ नोटिस भेजा है जिसमें उन्हें दो हफ्ते का समय दिया गया है कि वह साबित करें कि वह दलित हैं। गुंटूर के कलेक्टर ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को रोहित वेमुला के परिवार को भेज दिया है और उन्हें नोटिस भी जारी किया है। कलेक्टर ने परिवार से पूछा है कि अगर दलित होने का प्रमाण नहीं मिला तो उनका प्रमाण-पत्र खारिज क्यों ना किया जाए।
रोहित वेमुला की मां को फरमान, दलित होने का सबूत दें

इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा मामले की जांच के लिए बनाए गए पैनल ने भी कहा था कि रोहित वेमुला अनुसूचित जाति का नहीं था। यह पैनल रोहित सुसाइड केस की जांच के लिए बनाया गया था। इसका काम उन परिस्थितियों का पता करना था जिसमें रोहित ने खुदकुशी करने का रास्ता चुना। जिस पैनल ने यह बात कही है उसके मुखिया इलाहबाद कोर्ट के जज ए के रूपनवाल थे।

गौरतलब है कि 17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला ने अपने एक मित्र के होस्टल के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने उन्हें और उनके 5 दोस्तों को निलंबित करने का आदेश जारी किया था। रोहित के फांसी लगाए जाने के बाद छात्रों ने वीसी के विरोध में लंबे समय तक प्रदर्शन किया था।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आत्महत्या करने वाला स्टूडेंट रोहित वेमुला दलित नहीं था।

गुंटूर के कलेक्टर द्वारा दाखिल समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहित वेमुला दलित नहीं था और यह प्रमाण पत्र धोखाधड़ी से बनाया गया था। गौर हो कि खुदकुशी के बाद रोहित के दलित होने का मामला उठाया गया। इसी आड़ में केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्षी नेताओं ने निशाना साधा था। मोदी सरकार को दलित विरोधी कहा गया था।

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