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आम्रपाली की धोखाधड़ी के केसों में महेंद्र सिंह धोनी का भी नाम, आरोपी बनाने की मांग

आम्रपाली के मामले में धोखाधड़ी और साजिश के लिए दर्ज केसों में भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की...
आम्रपाली की धोखाधड़ी के केसों में महेंद्र सिंह धोनी का भी नाम, आरोपी बनाने की मांग

आम्रपाली के मामले में धोखाधड़ी और साजिश के लिए दर्ज केसों में भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की भूमिका पर भी फ्लैट खरीदारों ने सवाल उठाए हैं। दर्ज की गई सात एफआइआर में उनके नाम का जिक्र भी किया गया है। इस मामले में कंपनी के सीएमडी अनिल के. शर्मा और दूसरे निदेशकों को आरोपी बनाया गया है। खरीदार धोनी की भूमिका की भी जांच करके आरोप बनाने की मांग की है।

धोनी के ब्रांड अंबेस्डर होने से झांसे में आ गए

पिछले 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था जिसके अनुसार आम्रपाली ने फ्लैट खरीदारों का पैसा अवैध रूप से दूसरी तमाम कंपनियों में लगा दिया। आम्रपाली से पैसा पाने वाली कंपनियों में भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी की भी कंपनी थी। फ्लैट खरीदारों के तमाम समूहों ने सात एफआइआर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज कराई हैं। सभी समूहों ने आरोप लगाया है कि धानी ने खुद को आम्रपाली के ब्रांड अंबेसडर के तौर पर पेश किया और धोखाधड़ी की गतिविधियों को खूब बढ़ावा दिया। इस वजह से झांसे में आकर खरीदारों ने इस प्रोजेक्ट में निवेश किया।

फ्लैट बनाने का पैसा दूसरे कारोबार में लगाया

खरीदारों ने अपनी एफआइआर में आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा रची गई आपराधिक साजिश में धोनी भी हिस्सा थे। इसलिए उन्हें भी आरोपी बनाया जाए। 2003 में शर्मा द्वारा स्थापित आम्रपाली ग्रुप 2010 के आसपास उत्तर भारत का प्रमुख रियल एस्टेट खिलाड़ी बन गया। रियल्टी में जोरदार सफलता पाने के बाद ग्रुप ने एजूकेशन, एंटरटेनमेंट, एफएमसीजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, होटल आदि में भी डायवर्सिफाई किया।

शर्मा और अन्य निदेशक जेल में

यह समूह 2017 में उस समय सुप्रीम कोर्ट की जांच के घेरे में आया जब हजारों खरीदारों ने समय पर फ्लैट का पजेशन न देने का आरोप लगाया। अदालत से नियुक्त ऑडिटर्स ने कंपनी के खातों की जांच तो यह बात सामने आई कि खरीदारों से हजारों करोड़ रुपये एकत्रित किए गए लेकिन उस पैसे को अपनी कंपनी की रियल्टी की गतिविधियों में लगाए बजाय दूसरी कंपनियों में लगा दिया गया। अदालत ने 23 जुलाई को सीएमडी शर्मा, और अन्य निदेशकों को हटाने, कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए कोर्ट रिसीवर िनयुक्त करने, अधूरे फ्लैटों को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को लगाने और पुलिस को मामले की आगे की जांच करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शर्मा और अन्य निदेशकों को अदालत की अवमानन, धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए जेल भेज दिया।

इन प्रोजेक्टों के खरीदारों की एफआइआर

बीती 23 जुलाई के बाद से ओ2 वैली, ला रेजीडेंशिया, सिलिकॉन सिटी, क्रिस्ट होम्स, लीजर वैली, आदर्श आवास योजना और किंग्सवुड जैसी आवासीय परियोजनाों से जुड़े सात खरीदार समूहों ने अलग-अलग एफआइआर दर्ज कराई हैं।

धोनी की छवि के कारण भरोसा कर लिया

खरीदारों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने नोएडा अथॉरिटी से कोई अनुमति लिए बगैर ही ये प्रोजेक्ट लांच कर दिए और एकतरफा और दुर्भावनापूर्ण बिल्डर-बायर एग्रीमेंट ने स्थिति और खराब कर दी। खरादीरों ने कहा कि धोनी के अच्छी छवि और प्रभाव के अलावा आइआटी डिग्रीधारी अनिल शर्मा को प्रोफेशनल मानकर शर्तों पर भरोसा करके समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।  

सोमवार को होगी सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई

खरीदारों ने कहा है कि एफआइआर में अनिल शर्मा और अन्य निदेशकों को आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसियों से अनुरोध है कि धोनी की भूमिका की भी जांच की जाए और उन्हें भी आरोपी बनाया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी। इसमें ईडी और दिल्ली पुलिस जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंप सकती है।

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