हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई को आदेश दे कि वह इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे और कोई भी ईवीएम जब्त कर उसकी जांच करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है और सिर्फ चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
गौरतलब है कि 11 मार्च को उत्तर प्रदेश, गोवा,मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव हारने वाले दलों ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसकी शुरुआत यूपी में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद मायावती ने की थी। इसी से जुड़ी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। हालांकि इन दोनों ही नेताओं के आरोपों को चुनाव आयोग नकार चुका है।
ईवीएम की छेड़छाड़ मामले पर चुनाव आयोग ने कड़े शब्दों में कहा है कि ईवीएम में गड़बड़ी की आरोप बेबुनियाद और बेतुके हैं। उन्हें चुनाव के दौरान किसी दल या प्रत्याशी या दल की तरफ से छेड़छाड़ की शिकायत या सबूत नहीं मिले हैं। पूरा चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष है। आयोग ने यह भी कहा था कि अगर कोई ठोस सबूत देता है तो उसकी जांच होगी। इससे पहले भी छेड़छाड़ की शिकायतों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट खारिज किया है।
ईवीएम मशीन वर्ष 2000 से चलन में है और 2004, 2009 के अलावा 2014 में 107 विधानसभा चुनावों में उपयोग की जा चुकी है।