सीएनएन आईबीएन की खबर के मुताबिक, जांच रिपोर्ट बताती है कि होशंगाबाद स्थित सिक्योरिटी पेपर मिल के अंदर गलत इरादे से एक इस्लामिक देश ने पैठ बना ली थी। रिपोर्ट के मुताबिक 8 नवंबर 2012 को दस रुपये के नोट वाले पेपर में खामियां पाए जाने पर इस घुसपैठ की पुष्टि हुई लेकिन मामले को दबा दिया गया।
रिपोर्ट बताती है कि दस रुपये के नोट पर जहां सुरक्षा धागा होता है, उस पर लिखे टेक्स्ट धुंधले थे। इस धागे पर या तो अरबी में कुछ लिखा था या कुछ लिखा ही नहीं गया था। जब गुणवत्ता जांच की कसौटी पर इसे परखा गया तो इस सिक्योरिटी धागे को नॉन-मैग्नेटिक भी पाया गया। नोट के पेपर पर ही दोषपूर्ण सिक्योरिटी थ्रेड लगा था जिसकी पूर्व में चार-पांच बार सुरक्षा जांच होने के बावजूद अनदेखी कर दी गई। बाद में पाया गया कि इस पेपर के चार बक्सों में दोषपूर्ण पेपर थे।
रिपोर्ट बताती है कि एक बक्से में 5000 शीट्स होती है और प्रत्येक शीट से 50 नोट छापे जाते हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि तकरीबन दस लाख रुपये मूल्य के दोषपूर्ण नोट छापे जा चुके थे। दोषपूर्ण सुरक्षा धागे वाले पेपर सप्लाई करने वाली कंपनी नई दिल्ली स्थित एरिस्टोक्रेट इंटरनेशनल लिमिटेड है जिसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कंपनी के प्रबंध निदेशक ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस गंभीर लापरवाही को भी सिक्योरिटी पेपर मिल और सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने दबा दिया। वित्त मंत्रालय या गृह मंत्रालय को भी रिपोर्ट नहीं भेजी गई। दरअसल, अधिकारियों ने सप्लायर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई किए बगैर दोषपूर्ण सुरक्षा धागे वाले पेपर बदलने की अनुमति दे दी।
अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि यह भ्रष्टाचार का कोई मामला तो नहीं। लेकिन इस घटना से स्पष्ट है कि यह चूक इतनी गंभीर है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है और भारत सरकार पर अपनी ही मुद्रा को सुरक्षित नहीं रख पाने का आरोप लग सकता है।