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धार्मिक भावना आहत का मामला, तीस्ता की सुनवाई से जज ने खुद को अलग किया

गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की उस अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें तीस्ता ने 2014 में अहमदाबाद पुलिस की ओर से दर्ज की गई एक प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी। पुलिस ने एक लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिंदू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें डालने के मामले में तीस्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
धार्मिक भावना आहत का मामला, तीस्ता की सुनवाई से जज ने खुद को अलग किया

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने जुलाई 2015 में तीस्ता की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। जब सुनवाई के लिए अर्जी पीठ के सामने आई तो न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, मेरे सामने नहीं।

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता राजू पटेल की शिकायत पर अगस्त 2014 में अहमदाबाद के घाटलोदिया पुलिस थाने में तीस्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पटेल ने आरोप लगाया था कि ट्विटर पर हिंदू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें डालकर तीस्ता ने धार्मिक भावनाएं आहत की।

तीस्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए और 205-ए के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किए गए थे।

पिछले साल सितंबर में इस मामले में अदालत ने गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता पटेल को नोटिस जारी किया था। बहरहाल, उसके बाद से इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी।

अगस्त 2015 में न्यायमूर्ति पारदीवाला ने तीस्ता को हर महीने घाटलोदिया पुलिस थाने में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट दे दी थी। निचली अदालत ने तीस्ता को इस मामले में अग्रिम जमानत देते वक्त शर्त तय की थी कि वह हर महीने थाने में व्यक्तिगत तौर पर पेश होंगी। भाषा

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