शहीद की पत्नी किरन का कहना है कि नक्सली इलाके में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को अधिक शक्ति दी जानी चाहिए। उनके अधिकारों में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।
किरन ने मीडिया से कहा कि जवानों के हाथों में बंदूक जरूर है पर वह उसका उचित इस्तेमाल नहीं कर सकते।
गौर हो कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत देश की आंतरिक सुरक्षा पर एक गंभीर सवाल है।
अधिकारियों का कहना है कि समय समय पर सरकार जवानों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है। केन्द्र सरकार नक्सल विरोधी अभियानों के लिए जरूरी साजो सामान और आधारभूत ढ़ांचा मुहैया करा कर जवानों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास भी कर रही है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में जवानों के पास 58 बारूदी सुरंग रक्षक वाहन हैं।
इसके अलावा 30 वाहनों की खरीद की जानी है। बस्तर क्षेत्र में केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के कम से कम 45 हजार और राज्य पुलिस के 20 हजार जवान तैनात किए गए हैं।