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आउटलुक एक्सक्लूसिव : राजनीतिक रिश्तों से हथियारों की दलाली

हथियार दलाल संजय भंडारी की कंपनियों पर की गई जांच में कई खुलासे हुए है, कांग्रेस और भाजपा के भी कई नेताओं से भी हैं नजदीकियां
आउटलुक एक्सक्लूसिव : राजनीतिक रिश्तों से हथियारों की दलाली

हवाला कारोबार में लिप्त दिल्ली की कुछ फर्जी कंपनियों के खिलाफ आयकर विभाग की यह रुटीन छापेमारी थी। इन छापों में कुछ ऐसे लेन-देन का पता चला जो अधिकारियों को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा तक ले गए। एक कंपनी ने 68 करोड़ रुपयों की 'इंट्री’ दर्ज की थी। पता चला कि दिल्ली की वह कंपनी हथियारों के दलाल संजय भंडारी की थी। 26 अप्रैल को दिल्ली में भंडारी के घर और दफ्तरों पर छापे मारे गए। इन छापों में ढेरों ऐसे सबूत मिले, जिन्हें देखकर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के पसीने छूट गए। न सिर्फ भंडारी और वाड्रा के बीच बल्कि पार्टी लाइन से इतर कई राजनेताओं के साथ ई-मेल के आदान-प्रदान का खुलासा हुआ। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक अति गोपनीय नोट में कहा गया है, 'अतीत में, लालकृष्ण आडवाणी और रॉबर्ट वाड्रा उनके घर आते-जाते रहे हैं। संजय यह भी दावा करते रहे हैं कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ उनकी नजदीकी रही है और टेलीफोन पर हर हक्रते एक या दो बार बातचीत होती रही है।’

भंडारी और उनके सहयोगियों के कॉल रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह को भी अनेक फोन किए और उनके लगातार संपर्क में थे। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आउटलुक को बताया कि पिछले एक साल में उन्होंने भंडारी से सिर्फ 45 बार बात की है। लेकिन आउटलुक को हासिल कॉल डिटेल से अलग ही कहानी पता चली। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भंडारी के साथ अपनी मित्रता से इनकार नहीं किया। उनका कहना है कि वह सामाजिक तौर पर उनको जानते रहे हैं। इसलिए उनके साथ संपर्क में थे। लेकिन उनके कारोबार की प्रकृति के बारे में कुछ नहीं जानते थे। सिंह के अनुसार, 'मैं उन्हें पारिवारिक मित्र के तौर पर जानता हूं। उनकी बेटी की शादी में भी शामिल हुआ था। मैं जानता था कि वह बहुत धनी हैं। मुझे लगा कि परिशोधन का उनका कारोबार है। क्योंकि उनके पिता ओएनजीसी में थे। मुझे उनके कारोबार की हकीकत का पता आयकर विभाग के छापे के बाद ही चला।’ लालकृष्ण आडवाणी के प्रवक्ता ने आउटलुक से कहा, 'मैंने उन्हें कभी आडवाणी आवास पर नहीं देखा।’

 

दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ निरंतर संपर्क में थे भंडारी और अक्सर उनके घर जाते थे। शीला दीक्षित ने आउटलुक से कहा, 'मुझसे मिलने सैकड़ों लोग मेरे घर आते हैं। हो सकता है, मेरी उनसे मुलाकात हुई हो, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह कौन हैं।’

भंडारी के डिफेंस कॉलोनी स्थित फ्लैट से रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज मिले हैं। अब भंडारी की संयुक्त अरब अमीरात, लंदन की संपत्त‌ियों और पनामा की उनकी एक कंपनी के बारे में प्रवर्तन निदेशालय छानबीन कर रहा है। गृह मंत्रालय ने वे दस्तावेज रक्षा मंत्रालय को भेज दिए हैं, ताकि पता चल सके कि वे कितने संवेदनशील और सटीक हैं।

आउटलुक को हासिल दस्तावेजों से स्पष्ट है कि रॉबर्ड वाड्रा के अलावा भाजपा और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ भी नियमित संपर्क  में थे संजय। लेकिन भंडारी के वाड्रा के साथ कथित संपर्कों को लेकर उंगलियां उठ रही हैं। संदेह जताया जा रहा है कि वाड्रा के लंदन स्थित 12 इलर्टन हाउस, ब्रियांस्टन स्‍क्वायर स्थित संपत्त‌ि खरीदने के लिए संजय भंडारी ने फंडिंग की थी। ई-मेल के ब्यौरे से पता चलता है कि संपत्त‌ि की खरीद के बाबत भुगतान और उस मकान की मरम्मत एवं साज-सज्जा के लिए वाड्रा और उनके सहायक मनोज अरोड़ा, लंदन में भंडारी के संपर्क सूत्र सुमीत चड्ढा से नियमित संपर्क में थे। वाड्रा के वकीलों का दावा है, 'आपके द्वारा बताए गए 12 इलर्टन हाउस, ब्रियांस्टन स्‍क्वायर, लंदन स्थित घर का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वह स्वामी नहीं हैं। वाड्रा या उनके सहायक ने संजय भंडारी के साथ किसी प्रकार का वित्तीय लेन-देन नहीं किया है। इस बारे में भी बिल्कुल नहीं जानते कि संजय भंडारी किसी तरह के रक्षा सौदे में शामिल हैं।’

सूत्रों के अनुसार, भंडारी तकनीक के अच्छे जानकार हैं और वाड्रा और उनके सहायक के साथ किए गए सभी ई-मेल डिलिट कर दिए हैं। जिन ई-मेल की कॉपी भंडारी के निजी सचिव को भेजी गई थी, वे ही जांचकर्ताओं के हाथ लग सके हैं। वाड्रा के सहायक के साथ संपर्क के लिए भंडारी एक ई-मेल आईडी का इस्तेमाल करते थे- 'एक्जिम रियल एस्टेट’। भंडारी ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को दिए अपने बयान में बताया है कि वह संपत्त‌ि उन्होंने खरीदी थी, अपने निजी इस्तेमाल के लिए।

भंडारी की अन्य कई संपत्त‌ियों के बारे में जांच चल रही है। लंदन के बॉर्डन स्ट्रीट स्थित अपार्टमेंस 2013 में 10 करोड़ में खरीदा गया था। दुबई के जुमेराह में 2010-11 में पांच करोड़ में फ्लैट, पनामा में कंपनी- इन सबका ब्यौरा उन दस्तावेजों में है, जिन्हें आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा है। अधिकारियों के अनुसार, 'प्राथमिक उद्देश्य यह पता करना है कि इन संपत्त‌ियों की खरीद में किसने पैसा लगाया और किसके लिए खरीदा।’ एक अंग्रेजी दैनिक के पत्रकार पर भी जांच एजेंसियों की नजर है। उनके कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्होंने भंडारी को 478 बार फोन किए। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने आउटलुक को बताया, 'लेकिन अब तक दोनों के बीच किसी वित्तीय लेन-देन के संकेत नहीं मिले हैं। अभी तक हमारे पास फोन कॉल रिकॉर्ड्स के डिटेल्स हैं।’

लेकिन भंडारी कुछ और कारणों से गंभीर मुश्किल में पड़ सकते हैं। 26 अप्रैल को उनके डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास से जो दस्तावेज बरामद किए गए, उनसे पता चलता है कि इस हथियार दलाल की रक्षा मंत्रालय में अच्छी-खासी पैठ थी। दस्तावेजों में से कुछ 'छह अतिरिक्त फ्लाइट रीफ्युलर्स के बारे में हुई 15वीं आंतरिक सीएनसी बैठक’ के बारे में थे। 'डिफेंस एक्वीजिशन कमेटी’ के पास प्रस्ताव रखे गए थे और खरीद के कई प्रस्ताव डीपीपी को भेजे गए थे। इन दस्तावेजों को गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय को भेजा है।

वित्त मंत्रालय को भेजी गई आईबी की एक रिपोर्ट के अनुसार भंडारी की रक्षा मंत्रालय में गहरी पैठ थी और कुछ अहम फाइलों के लापता होने में भंडारी का हाथ रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 126 युद्धक विमान खरीद की फाइल चोरी होने के मामले में 'नफे सिंह नाम के एक व्यक्ति ने एस. भंडारी पर’ गंभीर आरोप लगाए।  यह फाइल मंत्रालय से लापता कर दी गई थी और बाद में सडक़ पर मिली। एस. भंडारी पर आरोप है कि उसके एफ 16 और एफ 18 के सौदागरों के साथ संपर्क थे और उसने इन अमेरिकी सौदागरों को फाइलों की फोटो प्रतियां उपलब्‍ध कराई थीं।’ रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अगर भंडारी पर दस्तावेज चुराने के आरोप लगे थे, तब क्यों नहीं साउथ ब्लॉक में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया और क्यों नहीं सीबीआई ने उनके नाम को 'अनवांटेड कॉन्टैक्ट मेन’ की सूची में डाला। भंडारी को भेजे गए ई-मेल के जवाब नहीं मिले। आउटलुक के पास भंडारी के 2010 के बैंक स्टेटमेंट हैं, जिनसे पता चलता है कि उनके स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक एकाउंट में ज्यूरिख स्थित यूबीएस बैंक से कोई भुगतान नहीं आया। भुगतानकर्ता था- पाइलेटस फ्लगज्यूवर्क एजी। रकम थी तीन करोड़, 37 लाख 65 हजार  रुपये। कुछ समय पूर्व भंडारी खबरों में आए थे। रेवेन्यू इंटेलीजेंस निदेशालय ने एक घपला पकड़ा था, जिसमें कीमती कारों के आयात में भंडारी ने कस्टम ड्युटी नहीं चुकाई थी। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। उन कीमती कारों को देश की जानी-मानी हस्तियों को उपलब्‍ध कराया गया था। इस तरह कई दशक पहले भंडारी ने राजनीतिक नेताओं से संपर्क बनाए थे।

भंडारी की और कंपनियों में है हिस्सेदारी

हथियार दलाल संजय भंडारी की कई कंपनियों में हिस्सेदारी है। भंडारी की कंपनी ओआईएस  टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड में जहां 90 फीसदी भागीदारी है वहीं इस कंपनी के 10 प्रतिशत शेयर भंडारी की पत्नी सोनिया भंडारी के नाम से हैं। 2011 में रजिस्टर्ड इस कंपनी से पहले संजय भंडारी अपने स्कूल समय के दोस्त बिमल सरीन द्वारा स्थापित अवाना सॉफ्टवेयर एंड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के भी शेयरधारक हैं। 6 जनवरी 2004 को रजिस्टर्ड इस कंपनी में संजय भंडारी 9.585 और उनकी पत्नी सोनिया भंडारी 9.38 प्रतिशत की भागीदार हैं। इसी तरह माइक्रोमेट एटीआई इंडिया प्राइवेट लिमिटेड जो कि 15 नवंबर 2010 को रजिस्टर्ड है। इस कंपनी के 90 प्रतिशत शेयर भंडारी के पास हैं जबकि 10 प्रतिशत शेयर बिमल सरीन के पास हैं।

सोनिया ने जांच और प्रमाण की दी चुनौती

दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर एक के बाद एक लग रहे आरोपों से आहत सोनिया गांधी ने सरकार को दो टूक कहा है कि अगर तथ्य हैं तो जांच कराएं, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। सोनिया ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा, 'वह प्रधानमंत्री हैं। कोई शहंशाह नहीं।’ सोनिया गांधी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब एक ताजा मामले में वाड्रा पर यह आरोप लगा कि लंदन में उन्होंने बेनामी संपत्त‌ि खरीदी और बाद में बेच दी। वाड्रा पर लगे आरोप के मुताबिक साल 2009 में हथियारों के दलाल संजय भंडारी ने एक बेनामी संपत्त‌ि खरीदकर वाड्रा को दी। बाद में इसे वाड्रा ने बेच दिया। आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने संजय भंडारी के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान जो दस्तावेज बरामद किए उनमें रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी मनोज अरोड़ा के कई ई-मेल का जिक्र है। इन जांच एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है जिसके आधार पर सरकार जांच करा रही है। आरोप यह है कि कुछ ही दिन बाद इस घर को बेच दिया गया। रिपोर्ट में ई-मेल में वाड्रा का जवाब भी दर्ज है। इस विवाद के सामने आने के बाद से भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर इस प्रकरण की जांच कराने की मांग की है। माना जा रहा है कि रॉबर्ट पर निशाने के पीछे भाजपा द्वारा प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में आने को रोकने की कोशिश है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल के साथ प्रियंका की भूमिका महत्वपूर्ण होने के आसार बने हुए हैं। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के विरोधियों द्वारा रॉबर्ट वाड्रा को सुव्यवस्थित ढंग से निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा कहते हैं कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मेरे शासन में कोई भ्रष्टाचार नहीं है, फिर महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के मंत्री क्योंं जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। शर्मा कहते हैं कि बार-बार सरकार जताती है कि कांग्रेस के लोग शामिल हैं तो नाम क्यों नहीं उजागर करती है, किसने रोका है।

कुमार पंकज

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