रिपोर्ट में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाडी को खेलों की ऑर्गनाइजिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कड़े सवाल उठाए गए थे। गौर हो कि आयोजन में हो रहे घोटालों की अनदेखी के मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर तत्कालीन पीएमओ दफ्तर के रवैये की भी निंदा की गई थी।
समिति ने पीएमओ से मिले उस जवाब को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि मंत्री समूह की बैठक का ब्यौरा खेल मंत्रालय दे सकता है।
उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक का लिखित ब्योरा न दिए जाने का कारण पूछा गया था। इसके जवाब में प्रधानमंत्री दफ्तर ने कहा था कि बैठक का लिखित ब्यौरा नहीं दिए जाने की वजह खेल मंत्रालय ही बता सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार जब राष्ट्रीय मसलों को लेकर प्रधानमंत्री के निर्देशों और दिशा निर्रेशन की बात आती है, तो पीएमओ को अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने के बजाय उस पर कड़ी नजर रखना चाहिए था।
रिपोर्ट में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा गया है, 'पीएमओ द्वारा यह कहा जाना कि वजह खेल मंत्रालय ही बेहतर बता सकता है, एक गोलमोल जवाब की ओर संकेत कर रहा है।'