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आउटलुक विशेष- पुतिन के भारत दौरे में रूस से करोड़ों के रक्षा खरीद की तैयारी

अगले सप्ताह रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन का भारत दौरा राजनयिक और रक्षा खरीद की तैयारियों के लिहाज से अहम रहने वाला है। गोवा में 16 अक्टूबर से शुरू हो रहे ब्रिक्स देशों की बैठक के एक दिन पहले पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है। रक्षा, सुरक्षा, कारोबार और निवेश को लेकर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने का एजेंडा इस बैठक का है।
आउटलुक विशेष- पुतिन के भारत दौरे में रूस से करोड़ों के रक्षा खरीद की तैयारी

अमेरिका की तरफ भारत का झुकाव बढ़ रहा था। ऐसे में पुतिन के दौरे में रक्षा खरीद के प्रस्तावित समझौतों को अहम माना जा रहा है। भारत अपने पुराने रणनीतिक मित्र के साथ मिसाइल प्रणाली, हेलीकॉप्टर- विमान और पनडुब्बी-फ्रिगेट्स की खरीद का अहम करार करने वाला है। दोनों राष्ट्रध्यक्षों की बातचीत के बाद भारत और रूस के बीच कई बिलियन डॉलर के रक्षा खरीद के समझौते पर दस्तखत होने हैं। पाकिस्तान की सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर पुतिन के इस दौरे को अहम माना जा रहा है। भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी रूस निर्मित 5एस-400 ट्रायंफ लॉन्ग रेंड एयर डीफेंस मिसाइल प्रणाली, कामोव-28 हेलीकॉप्टर और सुखोई 30-एमकेआई विमानों को आधुनिकीकरण को लेकर करार की कवायद में जुटे हैं। इनकी खरीद के अलावा भारत और रूस के बीच कामोव-226 हेलीकॉप्टर और पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम लगाने का करार हो सकता है।

एस-400 मिसाइल डीफेंस मिसाइल प्रणाली मिल जाने से हवाई हमले की स्थिति में भारत की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर की अगुवाई में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में इस प्रणाली की खरीद को लेकर बातचीत का फैसला किया गया। इस मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए 40 हजार करोड़ रुपए का करार होना है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा खरीद का सौदा करने वाला देश बन जाएगा।

इस मिसाइल प्रणाली को रूस ने अमेरिका और नाटो देशों के एफ-35 और स्टील्थ विमानों के जवाब में तैयार किया है। यह मिसाइल हवा में भी चार सौ किलोमीटर की रेंज में मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमानों को मार गिराने में सक्षम मानी जाती है। सूत्रों के अनुसार, भारत तीन ऐसी मिसाइल प्रणालियां- एक पश्चिम में (पाकिस्तान की सीमा पर) और दो पूर्व में (चीन की सीमा पर) तैनात करने की योजना बना रहा है।

भारत में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) बनाने का संयुक्त उपक्रम लगाने को लेकर रूस के साथ बातचीत लंबे अरसे से चल रही है, लेकिन काम के बंटवारे को लेकर मामला अटकता रहा है। छह बिलियन डॉलर का यह समझौता होना है। भारत में इस उपक्रम के जरिए 100 लड़ाकू विमान बनाने की योजना है। कामोव-226 हेलीकॉप्टरों के लिए दिसंबर में नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान करार हुआ था। अब इसके लिए ठेका आबंटिक करने पर बात होगी।

भारतीय नौसेना के मोर्चे पर दो समझौते होने हैं। अभी भारत के पास एक परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्बी है- आईएनएस चक्र। रूस के साथ 1.5 बिलियन डॉलर में अकुला- क्लास की पनडुब्बी खरीदने की योजना है। सितंबर में रूस ने भारत को चार बहु- उपयोगी फ्रिगेट्स बेचने का प्रस्ताव दिया है, जिनसे ब्रम्होस मिसाइल दागे जा सकते हैं। दो फ्रिगेट्स रूस देगा और दो को भारत में निर्मित किया जाएगा।

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