उन्होंने कंपनी के खातों में हेरा-फेरी करके मुनाफा बढ़ाकर दिखाया था, जिसकी वजह से निवेशकों को 14 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
पूर्ववर्ती सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड (एससीएसएल) में करोड़ों रूपये के लेखा घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है।सीबीआई ने इस मामले की जांच की है।
विशेष न्यायाधीश बी वी एल एन चक्रवर्ती ने यह फैसला सुनाया है देश की सबसे बड़ी लेखा धोखाधड़ी माना जा रहा यह घोटाला सात जनवरी 2009 को तब प्रकाश में आया जब कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष बी रामलिंगा राजू ने कथित तौर पर अपनी कंपनी के बही खाते में हेरा-फेरी तथा वर्षों तक करोड़ों रूपये का मुनाफा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने की बात कबूल की।
अपने भाई रामा राजू और अन्य के साथ फर्जीवाड़े की बात कथित तौर पर स्वीकार करने के बाद आंध्रप्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने राजू को गिरफ्तार कर लिया। मामले में सभी 10 आरोपी अभी जमानत पर हैं। करीब छह साल पहले शुरू हुए मामले में लगभग 3000 दस्तावेज चिनित किए गए और 226 गवाहों से पूछताछ हुई।
रामलिंगा राजू के अलावा अन्य आरोपी उनके भाई और सत्यम के पूर्व प्रबंध निदेशक बी रामा राजू, पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वदलामणि श्रीनिवास, पूर्व पीडब्लूसी ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास, राजू के एक अन्य भाई बी सूर्यनारायण राजू, पूर्व कर्मचारियों जी रामकृष्ण, डी वेंकटपति राजू और श्रीसाईलम तथा सत्य के पूर्व आंतरिक मुख्य ऑडिटर वी एस प्रभाकर गुप्ता हैं।