फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद उम्र भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी में हत्याकांड को अंजाम दिया था। जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। मेघाणीनगर थाना के इंस्पेक्टर समेत कुल 61 लोग मामले में आरोपी थे। इन आरोपियों में से नौ लोग जेल के अंदर हैं जबकि छह फरार हैंं। वहीं बाकी जमानत पर बाहर हैं। मामले की सुनवाई विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित स्पेशल एसआइटी ने मामले में 335 गवाह व 3000 दस्तावेज पेश किया था। गौरतलब है कि पीड़ितों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने केस की जांच एसआईटी को सौंप दी थी। सोसाइटी दंगों में जान गंवाने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों पर आरोप लगाया था। एसआईटी ने 27-28 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी से लंबी पूछताछ की, जिसमें मोदी ने आरोपों को गलत बताया था। मोदी ने एसआईटी को कहा था कि 28 फरवरी को एहसान जाफरी ने उन्हें मदद के लिए फोन नहीं किया था।
गुजरात दंगा : गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड साजिश नहीं, भाजपा नेता सहित 36 बेगुनाह
गुजरात दंगों के गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड पर विशेष अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी ठहराया है। अदालत ने मामले में 36 लोगों को बेगुनाह माना है। कोर्ट ने जिन 36 लोगों को बरी किया है उनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर और भाजपा पार्षद भी शामिल है। अदालत ने कहा कि 34 आरोपियों को सबूतों की कमी की वजह से बरी किया गया है। अदालत ने कहा कि यह घटनाक्रम साजिश के तहत नहीं हुआ। मामले में सजा 6 जून को मुकर्रर की जाएगी।

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