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रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

टीवी पत्रकार अक्षय सिंह वर्ष 2012 में मारी गई लड़की नम्रता दामोर के घर झाबुआ में उसके परिजनों से बात करते-करते दम तोड़ देता है। उसके मुंह से झाग निकलता है, मौत हार्ट अटैक से बताई जाती है। उसका विसरा (मौत की जांच के लिए रखा जाने वाला शरीर का द्रव) खराब होने की खबरें हवा में फैल रही हैं और खौफ को और गाढ़ा कर रही है।

 

इस मौत पर मध्य प्रदेश में भाजपा आलाकमान कैसे प्रतिक्रिया देता है, समझना जरूरी है। भाजपा नेता और म.प्र. के दमदार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अक्षय सिंह की मौत पर कहा, पत्रकार-वत्रकार क्या होता है...हमसे बड़ा कोई पत्रकार है क्या?  असंवेदनशीलता की हद पार करते हुए म.प्र. के गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने कहा, मौत एक प्राकृतिक घटना है। जो पैदा हुआ है, वह मरेगा भी। यह मृत्युलोक है। 49 मौतों की सूची हमारे पास है। विपक्ष की मानें तो अब तक 150 मौतें व्यापमं घोटाले में हो चुकी हैं। मौतों का खौफनाक सिलसिला 21 नवंबर 2009 से हुआ, जब पीएमटी घोटाले में बिचौलिए विकास सिंह ठाकुर की बड़वानी में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। मौत की वजह बीमारी और दवाओं का रिएक्‍शन बताया गया  लेकिन मामला कुछ और था।

 

ध्यान देने वाली बात है कि व्यापमं घोटाले से जुड़े 11 लोग अलग-अलग सड़क हादसों में मारे गए। सूची में 6 लोग अनजान वजहों से, 4 लोग खुदकुशी करने से, 3 जरूरत से ज्यादा शराब पीने से, 3 बीमारी की वजह से और 2 लोग ब्रेन हैमरेज की वजह से मारे गए हैं। खबरें हैं कि कई परीक्षार्थियों ने पुलिस द्वारा वसूली से तंग आकर भी आत्महत्या की है। चौंकाने वाली बात है कि इस घोटाले से जुड़े जितने बिचौलिए हैं, उनमें से ज्यादातर सड़क हादसे में मारे गए हैं। कई मौतों से पहले लोग अचानक गायब हो गए और बाद में उनकी लाश लावारिस हालत में मिली।

 

जितने चरणों में व्यापमं का फैलाव है, उतने ही स्तरों पर हत्याएं हो रही हैं। इसे यूं समझा जा सकता है, शीर्ष पर सरकार-व्यापमं संस्था, फिर इसे मुहैया कराने वाला अमला: मंत्री और विधायक, फिर आते हैं डीलर, जो जमीन पर सीटें बेचने का काम करते हैं। अंतिम चरण में परीक्षार्थी-अभिभावक और वे तेज-तर्रार छात्र, जो फर्जी छात्र बन परीक्षा देते हैं। हर मौत के साथ, चर्चा है कि ऊपर वाला नीचे वाले से अपनी कड़ी तोड़ने की कोशिश करता है। कहीं छात्र की मौत, कहीं दलाल की मौत, कहीं जांच करने वाले की मौत...यानी पूरे राज्य में जो इसमें शामिल है, वह खुद को बचाने के लिए दूसरे की जान लेने की साजिश रचता है। बताया जाता है कि कुछ लोग बहुत-से इलाकों में तंत्र-मंत्र का भी सहारा ले रहे हैं, ताकि उक्त व्यक्ति की मौत हो जाए और वे बच जाएं। हर जगह पैटर्न एक जैसा नहीं रहा लेकिन शुुरुआत में घोटाले में शामिल छोटे स्तर के किरदार मारे गए। ऐसी ही मौत हुई 7 जनवरी, 2012 को नम्रता दामोर की, जो एमबीबीएस की छात्रा थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ लिखा था कि इनकी हत्या हुई है, लेकिन पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बता कर रफा-दफा कर दिया था। अक्षय सिंह की मौत के बाद नम्रता की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को उजागर वहां के डॉक्टर बीबी पुरोहित ने किया। पुरोहित को अब जान का खतरा है और वह जान बचाने की गुहार कर रहे हैं।

 

खबरें ये भी आ रही हैं कि नम्रता को यौन हिंसा का शिकार बनाकर मार डाला गया क्योंकि वह सच उजागर करने की धमकी दे रही थी। इसी तरह से राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव की मृत्यु 25 मार्च, 2015 को लखनऊ में होती है। एक ही कॉलेज के दो डीनों की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत। व्यापमं की जांच कर रहे जबलपुर के डीन डॉ. डी.के. साकल्ये की मौत 4 जुलाई, 2014 को जल कर होती है, तो उनके बाद डीन बने अरुण शर्मा की दिल्ली के पंचसितारा होटल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत होती है। न जाने कितनों का लहू अभी और पिएगा व्यापमं।

 

मौतें जो ढूंढ रहीं जवाब 

1. नम्रता दामोर- (मेडिकल कॉलेज, इंदौर)

2. डॉ.डीके साकल्ये-डीन मेडीकल कॉलेज (जबलपुर)

3. शैलेश यादव- (राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे)

4. विजय पटेल- (रीवां)

5. रिंकू उर्फ प्रमोद शर्मा- (मुरैना)

6. देवेंद्र नागर- (भिंड)

7. आशुतोष सिंह- (झांसी)

8. श्यामवीर सिंह यादव- (ग्वालियर)

9. आनंदसिंह यादव- (यूपी)

10. ज्ञानसिंह जाटव- (ग्वालियर)

11. अमित जाटव- (मुरैना)

12. अनुज उइके- (मंडला)

13. पशुपतिनाथ जायसवाल- (सिंगरौली)

14. राघवेंद्र सिंह- (सिंगरौली)

15. आनंद सिंह- (इलाहाबाद)

16. विकास पांडे- (इलाहाबाद)

17. दीपक जैन- (शिवपुरी)

18. अंशुल साचान- (होशंगाबाद)

19. ज्ञान सिंह- (भिंड)

20. विकास सिंह- (झाबुआ)

21. अनुज पांडे- (ग्वालियर)

22. अरविंद शाञ्चय- (ग्वालियर)

23. कुलदीप मरावी- (मुरैना)

24. अनंतराम टैगोर- (मुरैना)

25. मनीष समीधिया- (झांसी)

26. दिनेश जाटव- (मुरैना)

27. ज्ञान सिंह- (सागर)

28. आनंद कुमार सिंह- (मुरैना)

29. बृजेश राजपूत- (मुरैना)

30. ललित कुमार- (मुरैना)

31. नरेंद्र तोमर- (मुरैना)

32. डॉ. राजेंद्र आर्य- (ग्वालियर)

33. रामेंद्र सिंह भदौरिया- (रतलाम)

34. तरुण मछार- (रतलाम)

35. आशुतोष तिवारी- (ग्वालियर)

36. ज्ञान सिंह- (ग्वालियर)

37. विकास ठाकुर- (बड़वानी)

38. आदित्य चैधरी- (सागर)

39. रवींद्र प्रताप सिंह- (सिंगरौली)

40. प्रेमलता पांडे- (रीवा)

41. बंटी सिकरवार- (ग्वालियर)

42. दीपक वर्मा- (सिगरौली)

43. ललित कुमार गुलारिया- (ग्वालियर)

44. नरेंद्र राजपूत- (महौबा)

45. नरेंद्र सिंह राजपूत- (झांसी)

46. अमित सगर- (मध्य प्रदेश)

47 पत्रकार अक्षय सिंह- (दिल्ली)

48. डॉ. अरुण शर्मा- (जबलपुर)

49. कॉन्सटेबल रमाकांत पांडेय- ओरछा

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