केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले एक साल में रिकॉर्ड विदेश यात्राएं कर चुके हैं। विदेश यात्राओं पर उनका जबर्दस्त जोर देखते हुए विपक्ष उन्हें देश का वास्कोडेगामा प्रधानमंत्री करने लगा है। अभी इस साल में उनकी कई विदेश यात्राएं पाइपलाइन में हैं। एक साल में वह 17 देशों का भ्रमण 53 दिनों में कर आए हैं।
उनकी हर विदेश यात्रा एक बड़ा इवेंट होती है। बड़े जलसे होते हैं। जिस भी देश में नरेंद्र मोदी जाते हैं, वह उनके फैन, उनके चाहने वाले बड़ी संख्या में जुटाए जाते हैं। हर देश में हाई-प्रोफाइल बैठकें, भेंट-मुलाकातें आयोजित की जाती हैं, जहां अच्छी संख्या में प्रवासी भारतीयों का जुटान होता है। भारत से भी प्रधानमंत्री के साथ मीडिया और कॉरपोरेट घरानों के अगुआ जाते हैं। एक सहज-सा सवाल किसी भी भारतीय नागरिक के दिमाग में आ सकता है और वह यह कि प्रधानमंत्री की इन ढेरों विदेश यात्राओं पर खर्चा कितना आता होगा। अगर आप यह सहज सा सवाल केंद्र सरकार और उसके सबंधित मंत्रालयों से पूछे, तो आपको सीधा जवाब मिलना असंभव है। ऐसा ही सवाल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कस्बा भोजपुर के निवासी सलीम बेग ने विदेश मंत्रालय से पिछले एक साल में प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर हुए खर्चे का और उनके साथ गए मीडिया दल पर हुए खर्चें का ब्यौरा मांगा तो जबर्दस्त ढंग से घुमाया गया। सूचनाके अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के तहत इतनी कम जानकारी मिली कि उससे यह आभास हो गया कि अब देश के नागरिक के लिए जानकारी हासिल करना और वह भी सत्ता के शीर्ष की बाबत सूचना हासिल करना दुरूह होता जा रहा है। जबकि सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रधानमंत्री की यात्राओ पर होने वाला व्ययकोई गुप्त जानकारी नहीं है, जो न मांगी जा सके। सबसे बड़ी बात प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा पर होने वाला व्यय जनता से जुटाए धन का ही हिस्सा होता है। लिहाजा, उसकी जानकारी कोई भी नागरिक ले सकता है। लेकिन इस मामले में ऐसा होता दिखाई नहीं देता।
बड़ी मुश्किल सूचना के अधिकार के तहत प्रधानमंत्री की दो विदेश यात्राओं पर हुए खर्च का ब्यौरा मिला और वह भी आधा-अधूरा। सेशल्स और मॉरिशस की यात्राओं का। विदेश मंत्रालय के पूर्वी और दक्षिण अप्रीकी विभाग ने सूचना के तहत जानकारी दी (देखें दस्तावेज-1) कि उनके उच्चाआयुक्त द्वारा सेशल्स और मॉरिशस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा पर क्रमशः 1, 26, 61, 928 रुपये (एक करोड़, छब्बीस लाख, 61 हजार 9सौ अठाइस रुपये) खर्च किए गए थे, जबकि मॉरिशस में 13,792,690 (1 करोड़, 37 लाख, 92 हजार, 6 सौ नब्बे रुपये खर्च हुए। सलीम बेग को सूचना के तहत जो जानकारी मिली है, जिसकी प्रति आउटलुक के पास भी है, उसमें साफ लिखा है कि 10-11 मार्च 2015 को सेशल्स और 11-12 मार्च को मॉरिशस यात्रा के दौरान व्यय का जो ब्यौरा दिया गया है, वह यात्रा पर खर्च किए गई कुल राशि का एक हिस्सा है। इसमें यह भी लिखा है कि संपूर्ण व्यय का लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है। यहां यह नोट करना दिलचस्प होगा कि सलीम बेग ने नौ अप्रैल को 20.5.2014 से कर 20.5. 2015 की अवधि में प्रधानमंत्री के विदेश दौरे-यात्राओं एवं सभाओं से संबंधित किए गए खर्च का ब्यौरा मांग गया था। आवेदक ने प्रधानमंत्री के साथ गए मीडियादल का ब्यौरा और उस पर हुए खर्चे की जानकारी मांगी थी। इसका जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया-1) मांगी गई जानकारी अस्पष्ट और विस्तृत है। साथ ही कहा गया कि मांगी गई जानकारी इस कार्यालय द्वारा धारित अभिलेखों की हिस्सा नहीं हैं।