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प्रसार भारती के सीईओ को शो-कॉज की अन्तर्कथा

प्रसार भारती के चेयरमैन ए. सूर्यप्रकाश द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार को शो- कॉज नोटिस दिए जाने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की एक बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी को नहीं भेजे जाने को लेकर जवाहर सरकार को शो-कॉज किया गया। सूर्य प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घनिष्ठ माना जाता है।
प्रसार भारती के सीईओ को शो-कॉज की अन्तर्कथा

दूरदर्शन के धारावाहिकों की मंजूरी में घूसखोरी के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंप कर जवाहर सरकार एक लॉबी के निशाने पर पहले से ही थे। प्रसार भारती में कई और मामलों को लेकर संघ की घनिष्ठ लॉबी के साथ जवाहर सरकार की टकराव की स्थिति है। अगले साल के शुरुआती महीने में श्री सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला है। बहरहाल, जवाहर सरकार को शो-कॉज नोटिस से उठे विवाद के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संज्ञान लिया है। उनके निर्देश पर मंत्री अरुण जेटली निजी तौर पर इस मामले को देख रहे हैं।

जानकारों के अनुसार, प्रसार भारती के चेयरमैन द्वारा सीईओ को नोटिस दिए जाने के औचित्य को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि वे नोटिस दे सकते हैं या नहीं। सीईओ का पद संवैधानिक होता है। इस नोटिस के नेपथ्य में कर्नाटक से सांसद डीके सुरेश की एक चिट्ठी बताई जाती है, जो उन्होंने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को लिखी। डीके सुरेश ने आरोप लगाया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की बैठक में प्रसार भारती के वरिष्ठ अधिकारी महेश जोशी (एडीजी, दक्षिण) की जगह जूनियर रैंक के एक अधिकारी को भेज दिया गया। वह अधिकारी उस दिन की बैठक में किसी सवाल का सटीक जवाब नहीं दे सका। डीके सुरेश का आरोप है कि दरअसल, प्रसार भारतीय के सीईओ ने उस बैठक को महत्व ही नहीं दिया। इसलिए जूनियर अधिकारी को भेजा गया। सांसद सुरेश के इसी पत्र के आधार पर जवाहर सरकार को कारण बताओ नोटिस दिया गया।

महेश जोशी, ए. सूर्यप्रकाश और डीके सुरेश- तीनों ही कर्नाटक से हैं और अरसे से महेश जोशी को दूरदर्शन का डीजी बनाए जाने की कोशिश में श्री सूर्यप्रकाश और डीके सुरेश जुटे थे। जवाहर सरकार ने आपत्ति जताई। विवाद बढ़ने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुप्रिया साहू को डीजी बनाने का तय किया गया, लेकिन अभी तक उनकी ज्वाइनिंग नहीं हुई है।

महेश जोशी प्रकरण के अलावा दूरदर्शन के सीरियल मंजूरी देने में घूसखोरी के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश देने के चलते भी जवाहर सरकार से प्रसार भारती की बड़ी एक लॉबी नाराज चल रही है। दूरदर्शन में दो तरह के धारावाहिकों की मंजूरी दी जाती है- स्पॉन्सर्ड, जिसमें निर्माता को विज्ञापन जुगाड़ करना होता है और कमीशंड, जिसमें निर्माता को प्रसार भारती कमीशन देता है।

स्वाभाविक तौर पर अधिकांश निर्माता कमीशन पद्धति पर धारावाहिक बनाते हैं। पिछले कई वर्षों से धारावाहिकों की मंजूरी के लिए 25 से 30 फीसद घूस अफसरों द्वारा लिए जाने के आरोप लग रहे थे। बात बढ़ने पर जवाहर सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। सीबीआई ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया है और 40 अन्य को नोटिस भेजा है। उसके बाद से ही प्रसार मंत्रालय में बड़ी एक लॉबी के निशाने पर जवाहर सरकार बताए जा रहे हैं। 

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