कल भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई। कंपनी ने 12,261 कर्मचारियों की छंटनी का एलान किया। खबर आते ही सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया कि क्या इतने बड़े ले-ऑफ के पीछे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का हाथ है? हालांकि, अब कंपनी ने इसको लेकर सफाई दी है।
मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में टीसीएस के सीईओ के. कृतिवासन ने इस कदम को मुश्किल लेकिन ज़रूरी बताया। उन्होंने छंटनी के पीछे AI का हाथ होने से साफ इनकार किया।
टीसीएस ने एलान किया कि वह अपने वैश्विक कार्यबल से 2 प्रतिशत यानी 12,261 कर्मचारियों को पदमुक्त करेगी। भारत की इस दिग्गज कंपनी के इस कदम ने आईटी पेशेवरों की चिंता बढ़ा दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में कई बड़ी आईटी कंपनियां अपने कार्यबल में कटौती कर सकती हैं। इससे पहले, पिछले साल भी आईटी सेक्टर में अप्रत्याशित ले-ऑफ देखा गया था। हालांकि सीईओ कृतिवासन ने छंटनी में AI की भूमिका को नकारा है, लेकिन जानकार इस दावे से पूरी तरह सहमत नहीं हैं।
कृतिवासन ने कहा कि कर्मचारियों को स्किल मिसमैच के आधार पर निकाला जा रहा है। कंपनी ने करीब 5,50,000 लोगों को शुरुआती कौशल और 1,00,000 लोगों को एडवांस स्किल में ट्रेनिंग दी है, लेकिन इतने बड़े स्केल पर डिप्लॉयमेंट में उसे दिक्कत आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कोई योगदान नहीं है।
टीसीएस के इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कंपनी की आलोचना शुरू कर दी है। रोहित कुमार गुप्ता ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "अगर आप 45 की उम्र पार कर चुके हैं तो आईटी सेक्टर में टिके रहना मुश्किल हो सकता है। आपको कभी भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।" वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, "मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारी सीखना बंद कर चुके हैं। यह छंटनी उनके लिए एक चेतावनी है।"