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डॉ. कलाम से जुड़े 7 किस्‍से जो हमेशा प्रेरणा देंगे

डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम के निधन के साथ देश ने एक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और युवाओं को प्ररेणा से भर देने वाला व्‍यक्तित्‍व खो दिया है। उनकी सादगी और विचारों ने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो जिंदगी के प्रति उनके नजरिए और सोच को जाहिर करते हुए हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।
डॉ. कलाम से जुड़े 7 किस्‍से जो हमेशा प्रेरणा देंगे

चिड़ि‍यों से ली उड़ान की सीख 

‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ की ओर रुझान के पीछे डॉ. कलाम अपने स्‍कूली शिक्षक सुब्रह्मण्यम अय्यर को श्रेय दिया करते थे। एक बार शिक्षक ने कक्षा में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती हैं? कोई भी छात्र जवाब नहीं दे पाया तो अगले दिन वह सभी बच्‍चों को समुद्र किनारे ले गए और पक्षियों के उड़ने का कारण समझाया। यही से कलाम में अंतरिक्ष और उडान के प्रति दिलचस्‍पी जगी। बाद में उन्‍होंने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।  

पायलट नहीं बनने से टूटा सपना 

मिसाइल मैन के तौर पर पहचान बनाने वाले डॉ. कलाम दरअसल पायलट बनना चाहते थे। एयरफोर्स में उस वक्त 8 जगहें खाली थीं और इंटरव्यू में कलाम का नंबर नौवां आया था। अपनी किताब में कलाम ने लिखा था कि उनके ऊपर पायलट बनने का जुनून सवार था। जब यह सपना पूरा नहीं हुआ तो वह बेहद निराश हुए और काफी भटकने के बाद ऋषिकेश पहुंच गए थे। वहां पहुंचने के बाद उन्‍होंने जीवन की नई राह तलाशी और अंतरिक्ष विज्ञान की ओर कदम बढ़ाए। 

 डीआरडीओ की दीवारों से हटवाए टूटे कांच 

दीवारों पर सुरक्षा के लिए टूटे कांच लगाना आम बात है। लेकिन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की दीवारों पर उन्‍होंने टूटे कांच लगाने से इसलिए मना कर दिया क्‍योंकि इससे चिड़‍ियां दीवार पर नहीं बैठ सकेंगी।  

ट्रस्‍ट के नाम कर दी सेलरी और सेविंग 

कहा जाता है कि राष्‍ट्रपति बनने के बाद डॉ. कलाम ने अपनी जिंदगी भर की बचत और वेतन एक ट्रस्‍ट के नाम करने का फैसला किया था। यह ट्रस्‍ट नए विचारों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है।  

हाथ से लिखकर देते थे कई पत्रों के जवाब 

डॉ. कलाम अपनी सादगी के लिए जितने लोकप्रिय थे, उतने ही वह मिलनसार भी थे। उनके पास आने वाले बहुत से पत्रों का जवाब वह खुद अपने हाथ से लिखकर देते थे। राष्‍ट्रपति बनने के बाद ही उन्‍होंने सभी पत्रों के जवाब भिजवाने की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की थी। देश भर में बहुत से लोग डॉ. कलाम के जवाबी पत्रों को बड़े फख्र से दिखाते हैं। राष्‍ट्रपति पद पर रहने के दौरान कलाम का जीवन न सिर्फ बहुत सादगीपूर्ण था, बल्कि प्रोटोकॉल की परवाह किए बगैर लोगों से खूब मिलते-जुलते थे।  

बड़ी कुर्सी पर बैठने से किया इन्‍कार 

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान डॉ. कलाम ने कुर्सी पर बैठने से इन्‍कार कर दिया था। दरअसल, मुख्‍य अतिथि के तौर पर उनकी कुर्सी बाकी कुर्सियों से बड़ी थी। उस समय वह देश के राष्‍ट्रपति थे। लेकिन कलाम ने बड़ी कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। तुरंत एक छोटी कुर्सी लाई गई और कलाम उस पर बैठे। उनके जीवन में सादगी से जुड़े ऐसे तमाम प्रसंग हैं।

जानवरों के तबले को बनाया लैब  

भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक डॉ. विक्रम साराभाई ने युवा वैज्ञानिक के तौर पर कलाम को अमेरिका के नासा में ट्रेनिंग के लिए भेजा था। वहां से लौटने के बाद उन्‍होंने राकेट पर अनुसंधान करने के लिए केरल के थुंबा में जानवरों के तबले को प्रयोगशाला में तब्‍दील कर दिया था। इसी प्रकार बेहद कम संसाधनों में उन्‍होंने देश के मिसाइल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में उल्‍लेखनीय भूमिका निभाई। 

 

 

 

 

 

 

 

 

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