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आतंकी संगठन से संबंध के आरोप में हिरासत में लिए गए 10 युवक रिहा

प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रति वैचारिक रुझान रखने के संदेह में दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए 10 युवकों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया है। हिरासत में लिए गए अन्य चार युवकों को शनिवार को ही रिहा कर दिया गया था।
आतंकी संगठन से संबंध के आरोप में हिरासत में लिए गए 10 युवक रिहा

दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिए गए युवकों को ककट्टरपंथ से दूर करने में मदद के लिए एक क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट की व्यवस्था की थी। सोमवार को रिहा किए गए छह युवकों के अभिभावकों से लिखित हलफनामा लिया गया है कि उनके बच्चे सही राह पर चलेंगे। दिल्ली पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई के स्पेशल सेल ने तीन मई को देर रात श्रृंखलाबद्ध छापेमारी के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश से 13 युवकों को हिरासत में लिया था। इसमें से तीन साजिद, समीर अहमद और शाकिर अंसारी को गिरफ्तार किया गया था और शेष को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। विशेष आयुक्त (स्पेशल सेल) अरविंद दीप ने बताया, छह युवकों को इस शर्त पर रिहा किया गया है कि जब कभी भी उन्हें बुलाया जाएगा वे पूछताछ के लिए उपस्थित होंगे। उनके अभिभावकों ने हलफनामा दिया है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके बच्चे भविष्य में सही राह पर चलेंगे।

 

अरविंद दीप ने बताया कि आज रिहा किए गए छह युवकों के लिए मनोचिकित्सक की व्यवस्था नहीं की गई है जबकि पहले रिहा किए गए चार को नियमित अंतराल पर क्लिनिकल मनोचिकित्सक के पास जाने को कहा गया है। मनोचिकित्सक हर सप्ताह उनकी प्रगति रिपोर्ट जांचकर्ताओं को सौपेंगे। दीप ने बताया कि पूछताछ के दौरान सामने आया कि युवकों के अंदर काफी गुस्सा था जिसके कारण वे आसानी से आतंकी संगठनों की ओर झुक सकते थे। उन्होंने बताया कि मामले में अब तक गिरफ्तारी करने लायक कोई सबूत नहीं मिला है। इस बीच, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले में मदद के लिए दिल्ली पुलिस ने साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने वाली भारत सरकार की नोडल एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम (सीईआरटी-इन) से संपर्क किया है। जांचकर्ताओं को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं और इन सुरागों को महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जा रहा है। 

 

 

जांचकर्ताओं ने बताया कि तीन गिरफ्तार युवकों से पूछताछ पर पता चला कि उन्हें संगठन में शामिल करने और राष्ट्रीय राजधानी में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए जम्मू कश्मीर, मुजफ्फरनगर और इराक में मुस्लिमों के खिलाफ कथित अत्याचार से संबंधित वीडियो दिखाए गए। पूर्व में जांचकर्ताओं ने दावा किया था कि वे तीनों पहले खतरनाक आईएसआईएस से प्रेरित थे और बाद में उनके वैचारिक झुकाव में बदलाव आ गया। उन्होंने दावा किया कि साजिद स्वयंभू कट्टरपंथी था और तहला के संपर्क में आने से पहले इस्लामिक स्टेट जैसी विचारधारा का प्रचार करता था। स्पेशल सेल ने दावा किया था कि उनके कब्जे से एक जिंदा और एक क्षतिग्रस्त इम्प्रोवाइज्ड एक्सपलोसिव डिवाइस (आईईडी), जिहादी साहित्य, प्रभावित करने वाला वीडियो और अन्य सामग्री बरामद की गई थी।

 

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