मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा देने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था, जिसके लिए उन्हें यह दर्जा दिया जाए।– साध्वी प्राची आर्य (विश्व हिंदू परिषद नेता)
-राजस्थान के अल्वर जिले में रातों-रात एक मार्ग पर राष्ट्रभक्त नाथुराम गोडसे का पत्थर लगा दिया गया, राष्ट्रवादी नाथुराम गोडसे पुल। अल्वर शहर में भगत सिंह चौराहे से अग्रसेन चौराहे को जोड़ने वाले इस 22 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाने फ्लाईओवर के ऊपर यह पत्थर लगाया गया था। मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद हुए हंगामे के बाद इसे हटाया गया।
- नाथुराम गोडसे राष्ट्रभक्त थे। महात्मा गांधी की तरह उन्होंने भी देश के लिए काम किया। गोडसे को उचित स्थान और सम्मान नहीं मिला।–साक्षा महाराज, भाजपा सांसद
इस तरह के कई वाकए देश भर में घटित हो रहे हैं। इनका मकसद एक ही है, राष्ट्रपिता मोहन दास कमरचंद गांधी के बरक्स उनके हत्यारे नाथुराम गोडसे को विमर्श में जिंदा रखा। वैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा नाथुराम गोडसे को राष्ट्रभक्त स्थापित करने की कवायद कई दशक पुरानी है। संघ की शाखाओं में और उनकी किताबों में गोडसे का चित्रण इसी तरह से है। नई बात यह है कि अब खुले मंचों से, भाजपा सांसद द्वारा इसे कहा जा रहा है। मिसाल के तौर पर साध्वी प्राची ने जिस कार्यक्रम में महात्मा गांधी के खिलाफ बयान दिया उसमें भाजपा सांसद सतीश गौतम सहित अन्य कई बड़े भाजपा नेता शामिल थे। इस सम्मेलन में बाकायदा ऐलान किया गया कि विवादित घर वापसी कार्यक्रम तब तक चलेगा जब तक 15 करोड़ लोगों को वापस हिंदू नहीं बनाया जाएगा। इस तरह से हिंत्दुत्व की ताकतें पूरे विमर्श को गोडसे के इर्द-गिर्द खड़ा करके ध्रुवीकरण करना शुरू कर चुकी हैं।
संघ से जुड़े फैजबाद के गुड्डू तिवारी का कहना है, हमें भी तो अपने राष्ट्रीय मॉडल चाहिए। हमारी राष्ट्रवाद की परिभाषा में नाथुराम गोडसे का उग्र व्यक्तित्व बिल्कुल फिट बैठता है। -गुड्डू की बातों में तकरीबन देशभर में अलग-अलग संगठनों द्वारा नाथुराम गोडसे को फिर से जिंदा करने की कवायद की अंतरवस्तु को समझा जा सकता है। जिस तरह से हिंदू महासभा देश भर में नाथुराम गोडसे के मंदिर और मूर्तियां लगवाने का ऐलान करती है और भाजपा सांसदों-विधायकों की उपस्थिति में महात्मा गांधी के खिलाफ भाषण दिए जाते हैं, उनसे एक बात साफ है कि गोडसे के नाम पर लंबी राजनीति खेलने की तैयारी में हैं हिंदुत्व की ताकतें। राजस्थान के अल्वर शहर में जिस तरह से राष्ट्रभक्त नाथुराम गोडसे का पत्थर लगाया गया, उससे यह भी लगता है कि जनता के मूड को भांपने के लिए इस तरह के छोटे-छोटे हंगामे किए जा रहे हैं। अल्वर पुलिस ने 45 वर्षीय नीरज कुमार शर्मा को गिरफ्तार करके मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की लेकिन अल्वर के लोग इसमें कई छिपे हुए पहलू देख रहे हैं। अल्वर से कांग्रेस के पूर्व सांसद भंवर जीतेंद्र सिंह ने इस घटना के लिए सीधे भाजपा और संघ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें करके ये लोग आज भी गांधी की हत्या को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं। अल्वर में सामाजक कार्यकर्ता वीरेंद्र विद्रोही का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को समग्रता में देखा जाना चाहिए क्योंकि ये एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं। तमाम तरह के प्रचार अल्वर और गोडसे को दी गई बंदूक के बीच विकसित किए जा रहे हैं। ये सारा दुष्प्रचार स्थानीय भावनाओं को भड़काने के उद्देश्य से हो रहा है। हालांकि इस दुष्प्रचार का सफल होना मुश्किल है। लेकिन ये विवाद खड़ा कर अपने मतलब में कामयाब हो जाते हैं, गोडसे को प्रासंगिक बनाना इनका मकसद है।
इसी तरह के एक प्रयास के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 20 से अधिक गांव के लोग जनवरी में उतरे और उन्होंने कहा कि वे हिंदू महासभा द्वारा गांव में नाथुराम गोडसे के प्रस्तावित मंदिर के खिलाफ हैं और वे इसे यहां नहीं बनने देंगे। हिंदू महासभा के खिलाफ बाकायदा जनसंवाद रैली आयोजित की गई, जिसमें गांव वालों ने तय किया कि वे प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करेंगे। इस रैली को आयोजित करने वाली उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के प्रमुख अमित जेनी ने कहा कि सभी गांव फैसला किया है कि वे गोडसे की मूर्ति नहीं लगने देंगे क्योंकि यह भारत की बेइज्जती है और वे अपने इलाके का नाम खराब नहीं होने देंगे। जेनी का यह कहना बहुत मार्के का है कि यह दुख की बात है कि इस पूरे विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से खामोश हैं। हम उनसे मांग करते हैं कि न केवल वह इन राष्ट्र-द्रोही तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें, बल्कि अपना पक्ष भी स्पष्ट करें।