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विवाद के बाद बीएचयू की पहली महिला चीफ प्रॉक्टर बनीं रॉयना सिंह

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पिछले दिनों छात्रा से छेड़खानी के बाद बड़े स्तर पर लड़कियों...
विवाद के बाद बीएचयू की पहली महिला चीफ प्रॉक्टर बनीं रॉयना सिंह

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पिछले दिनों छात्रा से छेड़खानी के बाद बड़े स्तर पर लड़कियों द्वारा विरोध प्रदर्शन हुआ। लड़कियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफॉर्म पर आलोचना की गई। बीएचयू प्रशासन की भी काफी आलोचना हुई, जिसके बाद वहां बड़ा फेर-बदल किया गया है।

दूरदर्शन न्यूज के मुताबिक, प्रोफेसर रॉयना सिंह को चीफ प्रॉक्टर बनाया गया है। वह बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर बनने वाली पहली महिला हैं।

इस संबंध में आदेश की कॉपी-

आदेश की कॉपी

प्रोफेसर ओंकारनाथ सिंह के इस्तीफे के बाद प्रोफेसर रॉयना सिंह को चीफ प्रॉक्टर बनाया गया है।

कौन हैं रॉयना सिंह?

प्रोफेसर रॉयना सिंह बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एनाटॉमी विभाग में प्रोफसर हैं और विश्वविद्यालय के अंदर कई जांच समितियों में बतौर सदस्य उनकी भूमिका रही है। रॉयना सिंह फिलहाल बीएचयू की महिला शिकायत प्रकोष्ठ की अध्यक्ष हैं और पहले डिप्टी चीफ़ प्रॉक्टर भी रह चुकी हैं। उन्होंने बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज से ही स्नातकोत्तर यानी पीजी की उपाधि ली है। रॉयना सिंह के माता और पिता दोनों ही बीएचयू में प्रोफेसर रहे हैं।

प्रोफेसर ओएन सिंह के इस्तीफे के बाद प्रोफेसर महेंद्रनाथ सिंह को चीफ प्रॉक्टर का अस्थाई कार्यभार दिया गया था लेकिन एक दिन बाद ही विश्वविद्यालय ने स्थाई चीफ प्रॉक्टर के तौर पर रॉयना सिंह की नियुक्ति कर दी।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पहले रॉयना सिंह गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भी पढ़ा चुकी हैं। अपने फेसबुक प्रोफाइल पेज पर उन्होंने तमाम महिलाओं के साथ सड़क पर स्वच्छता अभियान के तहत झाड़ू लगाते हुए तस्वीर लगा रखी है।

बता दें कि पिछले दिनों बीएचयू परिसर में स्थित भारत कला भवन के पास आर्ट्स फैकल्टी की छात्रा के साथ यूनिवर्सिटी के ही तीन छात्रों ने छेड़खानी की। कहा गया कि छात्रा ने शोर मचाया लेकिन घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर मौजूद सुरक्षा कर्मी भी उसकी सहायता के लिए नहीं आए। छात्रा ने इस घटना की शिकायत हॉस्टल की वॉर्डन और चीफ प्रॉक्टर से भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जिसके बाद छात्राएं धरने पर बैठ गईं। छात्राओं में जहां छेड़खानी को लेकर आक्रोश है वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ भी उनका गुस्सा फूट पड़ा। हॉस्टल में समय सीमा की पाबंदी, रोक-टोक, सुरक्षा व्यवस्था, विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ उनका प्रदर्शन हुआ, जहां 24 सितंबर को देर रात लड़कियों पर लाठीचार्ज कर दिया गया।

 

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