केंद्र सरकार लोगों के आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को जोड़ने की तैयारी में हैं। इसे लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है। ओवैसी ने इसे नागरिकों की सुरक्षा और निजता से जोड़ा है। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में ओवैसी ने नोटिस देकर नए इलेक्शन लॉ (संशोधन) बिल 2021 का विरोध किया है। बता दें कि यह बिल आज लोकसभा में पेश होने जा रहा है।
नए इलेक्शन लॉ (संशोधन) बिल 2021 के तहत वोटर आईडी कार्ट को आधार कार्ड से लिंक करने का प्लान किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे दो वोटर आईडी कार्ड रखने जैसे फर्जीवाड़े नहीं हो सकेंगे।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पत्र में लिखा है कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को जोड़ने से बहुत से नुकसान हैं, इसमें नागरिकों की सुरक्षा और निजता को खतरा है। उन्होंने आगे दावा किया कि इससे सरकारों को जनता को दबाने, मताधिकार से वंचित करने और भेदभाव करने के अधिकार मिल जाएंगे। इससे सीक्रेट बैलेट, फ्री और फेयर इलेक्शन में बाधा पैदा होगी।
इस बिल को ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बताया है। उन्होंने लिखा है कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले (पुत्तस्वामी बनाम भारत संघ) का उल्लंघन करता है। लिखा गया है कि ऐसा करना निजता के मौलिक अधिकार को जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने परिभाषित किया है, उसका उल्लंघन है।
नए इलेक्शन लॉ (संशोधन) बिल 2021 के फायदे-
- मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बिल में सरकार ने पत्नी शब्द को जीवनसाथी से रिप्लेस करने का फैसला लिया है। सरकार का मानना है कि यह जेंडर न्यूट्रल टर्म होगा।
- बिल में यह प्रावधान किया गया है कि आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति आधार नंबर अपने आवेदन के साथ नहीं देता है तो उसकी एप्लिकेशन खारिज नहीं की जाएगी।
- इसके अलावा वोटर लिस्ट में मौजूदा नामों को भी लिस्ट से डिलीट नहीं किया जाएगा। आधार कार्ड का नंबर देना पूरी तरह से वैकल्पिक होगा।
- इस बिल के एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात कही गई है।
- वर्तमान में एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है।