ग्रीनपीस की अंतरिम कार्यकारी सह-निदेशक विनुता गोपाल ने कहा, ‘ यह सरकार लगातार असहमत आवाजों को दबाने की कोशिश में है और हमारे एफसीआरए लाइसेंस का निरस्तीकरण, इस प्रयास में केवल उनका अगला कदम है। ऐसे सभी अभियानों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है जो टिकाऊ भविष्य और पारदर्शी सार्वजनिक प्रक्रियाओं के लिये चलाए जा रहे हैं। ’
विनुता का कहना है कि पिछले एक साल में हमारे अस्तित्व की लड़ाई किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नाटकीय नहीं रही है। इस दमन का शिकार न सिर्फ हम हुए हैं बल्कि पूरे देश में दमन की ऐसी कार्यवाई देखी जा सकती है। हमें उम्मीद है कि इस अभियान द्वारा सत्ता में बैठे लोगों को स्पष्ट संदेश पहुंचेगा कि लोकतंत्र में असहमति की आवाज को खत्म नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले एक साल में, 14 हजार से ज्यादा एनजीओ का रजिस्ट्रेशन या तो निरस्त कर दिया गया है या फिर उन्हें निलंबित किया गया है। वहीं न्यूज चैनलों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील कहानियों की कवरेज के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के छात्रों को आधी रात में गिरफ्तार किया गया क्योंकि वे अपने अध्यक्ष के रूप में राजनीतिक नियुक्ति का विरोध कर रहे थे। इन सब कार्रवाईयों से यह स्पष्ट है कि वर्तमान केंद्रीय सरकार खुद की नीतियों व राय से विपरीत राय रखने, और प्रकट करने की आजादी को खत्म करने का खास राजनीतिक प्रयास कर रही है।
ग्रीनपीस की राजनीतिक सलाहकार निर्मला करुणन कहती हैं, “यदि सरकार यह सोचती है कि विदेशी चंदे को बंद कर के हमारी अभियानों पर रोक लगा सकती है तो हमें भी यह विश्वास है कि हमारे हजारों भारतीय समर्थकों के सहारे हमारा काम जारी रहेगा। मैं पर्यावरण के लिये पिछले 20 सालों से काम कर रही हूं और मैं जबतक हो सके ऐसा करती रहूंगी क्योंकि अपने देश के भविष्य के लिये काम करने में मुझे अत्यंत संतुष्टि मिलती है। सरकार ग्रीनपीस को दबाने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन इन सबसे ग्रीनपीस और अपने काम के प्रति मेरा संकल्प बढ़ा ही है। मुझे भारतीय लोकतंत्र की शक्ति पर पूरा भरोसा है।”
ग्रीनपीस इंडिया के कर्मचारियों और समर्थकों नेस्वेदश, जाने भी दो यारों और थ्री इडियट्सजैसी नौ फिल्मों के मशहूर पोस्टरों को नया अवतार देते हुए उनकी कहानियों को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ा है। पोस्टर अभियान में शामिल होते हुए मध्य प्रदेश स्थित जनसंगठन ‘महान संघर्ष समिति’ ने भी अपने जंगल को बचाने की लड़ाई और जीत को आमिर खान की फिल्म लगानके माध्यम से दिखाया है। ग्रीनपीस के इस अभियान को सार्वजनिक ऑनलाइन भागीदारी के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है, खासकर ऐसे अन्य सिविल सोसाइटी समूह के लिये जो ग्रीनपीस की तरह ही सरकारी दमन का शिकार हो रहे हैं।
पिछले एक साल में, ग्रीनपीस के खातों को बंद कर दिया गया, उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की साजिश की गयी और कार्यकर्ताओं को देश के बाहर जाने या अंदर आने से रोक दिया गया। विनुता कहती हैं, “सरकारी एजेंसियों ने अपनी तरफ से ग्रीनपीस को बंद करने के लिये वो सबकुछ किया है जो वो कर सकते थे, लेकिन इन सबके बावजूद ग्रीनपीस इंडिया अधिक मजबूत बनकर उभरा है। ठीक उस तरह जैसे हमारी बॉलीवुड की कहानियों में सही पक्ष की हमेशा जीत होती है, और मुख्य नायक हर चोट सहने के बावजूद सत्य की लड़ाई में जुटे रहते हैं, हमारा संघर्ष अभी जारी है। हम अभी भी जिन्दा हैं, और स्वच्छ पर्यावरण और टिकाऊ भविष्य के लिये हमारे आंदोलन भारतीय समर्थकों के साथ बढ़ते रहने को तैयार हैं।”