केंद्र सरकार पहली बार इस बात को स्वीकार करती दिखी कि जीएसटी से छोटे और मझोले व्यापारियों को मुश्किलें आ रही हैं। इसी क्रम में उसने कई घोषणाएं कीं। इसे सरकार द्वारा भूल सुधार की तरह भी देखा जा रहा है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद श्ाुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐलान किया कि डेढ़ करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले व्यापारी हर माह की जगह अब तीन महीने में रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक में यह फैसला लिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी को एक जुलाई से लागू किए तीन माह हो चुके हैं। जुलाई और अगस्त की रिटर्न भी फाइल हुई हैं और इसका असर रहा और पूरे परिवर्तन में क्या दिक्कतें आई हैं, इस पर काउंसिल ने विचार किया। व्यापार संघों और राज्यों की मांगों पर भी गौर किया गया। इनमें लघु उद्योग और निर्यातकों की समस्याएं प्रमुख रूप से सामने आईं। लिहाजा छोटे कारोबारियों के लिए रिटर्न को तिमाही किया गया। वहीं एक करोड़ तक टर्नओवर वाले एकमुश्त कर योजना का लाभ ले सकते हैं।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जीएसटी में मझोले और छोटे करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम किया गया है।’’ छोटी इकाइयों और कारोबारियों की माल एवं सेवा कर :जीएसटी: व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी। जेटली ने कहा कि परिषद ने आम उपयोग वाली 27 वस्तुओ पर जीएसटी दर में कटौती का भी फैसला किया।
इसके अलावा क्या रहीं इस काउंसिल की खास बातें-
1- निर्यातकों के लिये नियमों को आसान बनाया गया है और कलम, पेंसिल, बिना ब्रांड वाले नमकीन और आयुर्वेदिक दवाओं सहित दो दर्जन से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती की गई है।
2- डेढ करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाली कंपनियां जीएसटी में पंजीकृत कुल करदाता आधार का 90 प्रतिशत है लेकिन इनसे कुल कर का 5 से 6 प्रतिशत ही प्राप्त होता है।
3- जीएसटी परिषद ने ‘कंपोजीशन’ योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिए भी कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी। इस योजना के तहत एसएमई को कड़ी औपचारिकताओं से नहीं गुजरना पड़ता है और उन्हें एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गई है।
4- बिना ब्रांड वाले नमकीन, बिना ब्रांड वाले आयुर्वेदिक दवाओं, अमचूर और खाकड़ा पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया हैं वहीं कपड़ा क्षेत्र में उपयोग होने वाले मानव निर्मित धागे पर माल एवं सेवा कर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
5- कलम, पेंसिल जैसे स्टेशनरी के सामान, फर्श में लगने वाले पत्थर (मार्बल और ग्रेनाइट को छोड़कर), डीजल इंजन और पंप के कलपुर्जों पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। ई-कचरे पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
6- एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले खाने के पैकेट पर जीएसटी 12 प्रतिशत के बजाय अब 5 प्रतिशत लगेगा।
7- जरी, प्रतिलिपि, खाद्य पदार्थ और प्रिंटिंग सामान पर अब 12 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत कर लगेगा।
8- संगमरमर और ग्रेनाइट को छोड़कर कई तरह के पत्थरों पर कर दरों में कमी की गई है। इससे निर्माण क्षेत्र को फायदा होगा। डीजल इंजन के उपकरणों पर कर 28 से 18 फीसदी किया गया।
9- दिवाली और धनतेरस से पहले सर्राफा कारोबारियों को मनी लांड्रिंग एक्ट से बाहर कर दिया है। सरकार ने केवायसी नियमों में बदलाव किया है। नए नियम के तहत 2 लाख रुपए तक की ज्वेलरी खरीदने के लिए पैन कार्ड या आधार कार्ड का विवरण नहीं देना होगा। अब तक यह सीमा 50 हजार रुपए थी। यानी अब अगर आप ज्वेलरी शॉप से 2 लाख रुपए तक की ज्वेलरी खरीदेंगे तो आपको पैन नंबर देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
10- केंद्र सरकार के इस फैसले को गोल्ड ज्वेलरी की घटती मांग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले 2-3 सालों की तुलना में इस बार गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।