केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) जीडीपी रेट 5.7 फीसदी पहुंचने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ये भी कहा कि इससे अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां भी बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से उभर रही है लेकिन उन्होंने आशा भी जताई कि घरेलू सार्वजनिक निवेश बढ़ा है, जिसकी वजह से राजस्व में बढ़ोत्तरी हुई है, जो सकारात्मक संकेत हैं।
उन्होंने जीडीपी की गिरी हुई दर पर कहा कि हमें इसे बढ़ाने के लिए योजना और निवेश दोनों के स्तर पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मानसून की स्थिति अच्छी है, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
Certainly a matter of concern that first quarter GDP has come down to 5.7% and its obvious therefore throws up challenge for the economy: FM pic.twitter.com/UeA34kNblD
— ANI (@ANI) August 31, 2017
बता दें कि देश की जीडीपी गिरने का एक कारण नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी को भी माना जा रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी की ग्रोथ तीन साल के न्यूनतम स्तर पर 5.7 पर आ गई है। लगातार तीसरी तिमाही में नोटबंदी के चलते जीडीपी की ग्रोथ पर असर दिखाई दिया है। मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े उद्योग-धंधो में सुस्ती को जीडीपी ग्रोथ में कमी की प्रमुख वजह माना जा रहा है।
इससे पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 7.9 फीसदी थी।
इसके अलावा कृषि, सर्विस, मैन्युफैक्चरिंग, इंडस्ट्री जैसे सेक्टरों में भी गिरावट देखने को मिली है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ इस अवधि में पिछले वर्ष की तुलना में 10.7 से गिरकर 1.2 प्रतिशत हो गई। इसी तरह वित्त, इंश्योरेंस, रियल इस्टेट सेक्टर में ग्रोथ पिछले साल के 9.4 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 6.4 प्रतिशत रह गई। सिर्फ सर्विस सेक्टर की ग्रोथ नौ प्रतिशत से गिरकर 8.7 प्रतिशत, इंडस्ट्री सेक्टर की ग्रोथ 7.4 प्रतिशत से गिर कर 1.6 प्रतिशत, कृषि सेक्टर की ग्रोथ 2.5 प्रतिशत से गिरकर 2.3 प्रतिशत हो गई।