केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय से एक आरटीआइ याचिका का जवाब देने को कहा है। इस आरटीआइ याचिका में पूछा गया था कि ताजमहल मकबरा है या शिव मंदिर? इस आरटीआइ के तहत एक शख्स ने ताजमहल का इतिहास जानने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) से सवाल पूछा था।
ताजमहल को लेकर कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं। पीटीआइ के मुताबिक, इन दावों की सच्चाई जानने के लिए बीकेएसआर अाय्यंगर ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पास एक आरटीआइ याचिका दायर की। इसमें पूछा गया कि क्या आगरा में बना स्मारक ताजमहल है या तेजो महालय? कई लोग यह दावा करते हैं कि इसका असली नाम तेजो महालय है और इसे शाहजहां ने नहीं बनवाया बल्कि एक राजपूत राजा ने मुगल शासक को तोहफे में दिया था इसलिए उनका दावा है कि ताजमहल मकबरा नहीं मंदिर हैे।
क्या कहना है सूचना आयोग का?
सूचना आयोग के कमिश्नर श्रीधर आचार्यालु के आदेश में कहा गया है कि संस्कृति मंत्रालय ताजमहल के इतिहास के बारे में चले आ रहे विवादों पर लगाम लगाए। साथ ही साफ करे कि क्या दुनिया के सात अजूबों में शामिल संगमरमर से बनी यह इमारत शाहजहां द्वारा बनवाया मकबरा है या एक राजपूत राजा की तरफ से मुगल शासक को तोहफे में दिया गया कोई शिवालय है।
आचार्यालु ने कहा है, मंत्रालय को इस मुद्दे पर अपनी राय देनी चाहिए। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) भी इस मामले में एक पक्ष है। उसे भी जवाब फाइल करना होगा। साथ ही एएसआई से 30 अगस्त से पहले दस्तावेजों की एक प्रति याचिकाकर्ता के साथ साझा करने को कहा गया है।