यह समन गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी की ओर से दायर याचिका के बाद भेजा गया है, जिसमें कोडनानी ने अमित शाह को अपने गवाह के तौर पर अदालत में बुलाने का अनुरोध किया था। माया कोडनानी दंगे के इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। एसआईटी की विशेष अदालत के जज पीबी देसाई ने शाह को आगामी 18 सितंबर को कोर्ट में आकर गवाही देने के लिए कहा है।
पीटीआई की खबर के अनुसार, अदालत का कहना है कि अगर 18 सितंबर को अमित शाह अदालत में उपस्थित नहीं होते हैं तो दोबारा समन नहीं भेजा जाएगा। माया कोडनानी के वकील अमित पटेल ने अदालत को अहमदाबाद के थलतेज इलाके में अमित शाह के आवास का पता सौंपा था, उसी पते पर अदालत ने समन भेजा है। इससे पहले शाह का पता खोजकर देने के लिए कोडनानी के वकील ने दो बार चार-चार दिन का समय मांगा था।
क्यों अहम है अमित शाह की गवाही?
बीते अप्रैल महीने में अदालत ने कोडनानी को अपने बचाव में अमित शाह व अन्य लोगों को गवाह के तौर पर अदालत में पेश करने की अनुमति दी थी। अपनी याचिका में कोडनानी ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि घटना के दिन वह विधानसभा जाने के बाद सोला हॉस्पिटल गई थीं। तत्कालीन विधायक अमित शाह भी सोला हॉस्पिटल में मौजूद थे, जहां गोधरा में साबरमती ट्रेन में आगजनी से मारे गए कारसेवकों के शव लाए गए थे। कोडनानी का कहना है कि अमित शाह की गवाही उन्हें निर्दोष साबित करने में मददगार होगी।
दो सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी अदालत को नरोदा दंगे के मामले में सुनवाई चार महीने के भीतर पूरी करने को कहा था। तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया था कि मामले की सुनवाई जारी है और विशेष अदालत द्वारा बचाव पक्ष के गवाहों के साक्ष्य दर्ज किए जा रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बचे हुए साक्ष्य दो महीने के अंदर दर्ज करने को कहा था।
क्या है मामला?
साल 2002 में अहमदाबाद में नौ बड़े दंगे हुए थे। नरोदा ग्राम में हुआ दंगा इनमें से एक है, जिसकी जांच एसआईटी द्वारा की गई थी। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने और कारसेवकों के मारे जाने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान भड़के दंगों में नरोदा ग्राम में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोग मारे गए थे। इस मामले में कुल 82 लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार की मंत्री रही माया कोडनानी को नरोदा पटिया दंगों के मामले में दोषी करार देते हुए 28 साल कैद की सजा सुनाई गई है। नरोदा पटिया दंगे में 97 लोग मारे गए थे।