दिल्ली के दो महत्वपूर्ण सरकारी अस्पतालों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और राममनोहर लोहिया अस्पताल में गलियारों में स्ट्रेचर पर लिटाकर डेंगू का इलाज हो रहा है। चूंकि अब अस्पतालों पर मीडिया की निगाहें भी टिकी हैं इसलिए वे गंभीर मरीजों का इलाज करने से इनकार नहीं कर रहे हैं मगर बेड न होने की समस्या उनके आड़े जरूर आ रही है। दिल्ली में इस बार डेंगू-2 और डेंगू-4 का प्रकोप फैला है जो कि पिछले कुछ वर्ष में फैलने वाले डेंगू 1 और डेंगू 3 से ज्यादा खतरनाक हैं। डॉक्टरों के अनुसार डेंगू 4 में खून में प्लेटलेट्स की मात्रा तेजी से कम होती है इसलिए मरीज जल्दी गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है। इसी वजह से इस वर्ष बीमारी से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और अबतक 11 से अधिक लोग आधिकारिक रूप से अपनी जान गंवा चुके हैं। बच्चे ज्यादा जल्दी इसका शिकार होते हैं क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को भर्ती न करने और एक जगह से दूसरी जगह दौड़ाने के आरोप लगने के बाद अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मैदान में आया है। उसने मरीजों के लिए सलाह जारी की है और कहा है कि डेंगू 4 कम घातक है। हालांकि कमाल की बात है कि मीडिया को संबोधन में संगठन के डॉक्टर यह भी मानते हैं कि डेंगू 4 पहले के डेंगू 1 और 3 के मुकाबले ज्यादा घातक है मगर डेंगू 2 ज्यादा घातक है। देश में डॉक्टरों के इस सबसे बड़े संगठन ने मरीजों से कहा है कि जब तक प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार तक न गिर जाए या तरीज को ब्लीडिंग न होने लगे तबतक मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरती नहीं पड़ती है। आईएमए के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने लोगों से अपील की है कि वे उस समय तक किसी बीमार को अस्पताल में भर्ती करने का दबाव न बनाएं जबतक ऐसा करना सचमुच जरूरी न हो क्योंकि अस्पताल के बेड भरने का खामियाजा गंभीर मरीजों को भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि डेंगू के अधिकांश मामलों में घर में ही इलाज हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि मरीज के परिजन डेंगू के बारे में पूरी जानकारी जुटाएं। सही तरीके से इस बीमारी का प्रबंधन करने पर मौत की हर घटना को रोका जा सकता है।
इस बीच दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों के लिए निर्देश जारी किया है कि रूटीन के ऑपरेशनों को रोक कर पूरा ध्यान डेंगू पर लगाया जाए और किसी भी मरीज को इलाज मुहैया कराने से इनकार न किया जाए। आम बीमारी वाले मरीजों की भर्ती रोक कर डेंगू के मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड का जुगाड़ किया जाए। इस बारे में आईएमए ने सरकार से सवाल पूछा है कि क्या उसने दिल्ली में डेंगू को महामारी घोषित कर दिया है क्योंकि ये निर्देश सिर्फ किसी महामारी के फैलने पर ही दिए जाते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली में 1996 डेंगू के मामले में सबसे बुरा साल माना जाता है जब यहां 10 हजार से अधिक मामले सामने आए थे। तब डेंगू 2 का प्रकोप फैला था। इसके अलावा वर्ष 2013 में 55 सौ मामले सामने आए थे और तब भी डेंगू 2 ही फैला था। इस बार ज्यादा प्रकोप डेंगू 4 का है मगर डेंगू 2 के कुछ मामले भी देखने में आ रहे हैं।